
कानपुर, 26 नवम्बर (Udaipur Kiran) । जिला कारागार में बंद गबन के आरोप में बंदी की बुधवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। दो दिन पूर्व उसकी तबीयत खराब हुई थी। इसके बाद उसे हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां पर उसकी स्थिति को देखते हुए वेंटिलेटर पर रखा गया था। मौत के बाद परिजन जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जांच की मांग कर रहे हैं।
ग्वालटोली थाना क्षेत्र अंतर्गत रहने वाले रूपनारायण यादव के खिलाफ गबन के मामले में पुलिस ने बीते साल अक्टूबर महीने में गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय के समक्ष पेशकर जेल भेज दिया था। इसके बाद से वह जेल में बंद था। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है और इस मामले का ट्रायल भी लगातार जारी है।
मृतक के भाई सतेंद्र ने बताया कि जब उसे जिला कारागार भेजा गया था तो वह पूरी तरह से स्वस्थ था, लेकिन जेल प्रशासन की लापरवाही के चलते उसकी तबीयत खराब होती जा रही थी। बीते महीने उससे मिलने गए थे तो वह सही से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। इसका मतलब जेल प्रशासन द्वारा उसका इलाज सही तरीके से नहीं कराया जा रहा था। आगे उन्होंने बताया कि यही कारण था कि रूप नारायण की दिन पर दिन तबीयत खराब होती जा रही थी लेकिन जेल प्रशासन द्वारा मामूली दवाइयां देकर केवल खानापूर्ति की जा रही थी। जब उसकी हालत ज्यादा बिगड़ गई तो उसे हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर उसकी मौत हो गई।
जेल अधीक्षक डॉ. बीडी पांडेय ने बताया कि जिला कारागार में बंद कैदी रूपनारायण की 21 तारीख को तबीयत खराब होने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां पर उसे आराम मिलने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया था लेकिन इसी बीच 24 तारीख को एक बार फिर पेट में दर्द होने पर उसे दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां जांच में पाया गया कि वह लिवर एब्सेस (एक गंभीर संक्रमणजनित बीमारी है, जिसमें लिवर के अंदर मवाद (पस) भर जाती है। यह एक तरह की सूजन और संक्रमण है) की बीमारी से ग्रसित है। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप