
जयपुर, 24 नवंबर (Udaipur Kiran) । जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के विधि विभाग की लापरवाही का खामियाजा अब प्रशासन को कोर्ट में भुगतना पड़ रहा है। विभिन्न जोन में लंबित मामलों से जुड़े अधिकारियों (ओआईसी) की जानकारी अपडेट नहीं करने के कारण जेडीए से संबंधित सैकड़ों प्रकरणों की सूचनाएं अब भी रिटायर्ड या तबादला हो चुके अधिकारियों के पास पहुंच रही हैं। इससे न केवल मामलों की प्रभावी पैरवी नहीं हो पा रही, बल्कि कई मामलों में जेडीए को हार या देरी से नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जेडीए के खिलाफ तथा जेडीए द्वारा दायर जमीन, अतिक्रमण व सूचना के अधिकार से जुड़े सैकड़ों प्रकरण न्यायालयों में विचाराधीन हैं। इन मामलों में संबंधित ओआईसी अधिकारी की भूमिका अदालत में उपस्थित रहने, वकील से समन्वय करने और दस्तावेज प्रस्तुत करने की होती है। लेकिन जेडीए के विधि विभाग द्वारा विधि विभाग की वेबसाइट पर ओआईसी अधिकारियों की अद्यतन जानकारी अपडेट नहीं की जा रही है, जिससे केसों से संबंधित एसएमएस और अन्य सूचनाएं अभी भी पूर्व अधिकारियों को भेजी जा रही हैं।
जबकि विधि विभाग की वेबसाइट हाईकोर्ट प्रणाली से जुड़ी हुई है और जेडीए का विधि विभाग ही उसमें समस्त केसों की मॉनिटरिंग, अपडेट और ओआईसी अधिकारियों का विवरण अपलोड करता है। बावजूद इसके, लंबे समय बाद भी कई प्रकरणों में रिटायर्ड या स्थानांतरित अधिकारियों के नाम और मोबाइल नंबर अपडेट नहीं किए गए हैं। इस वजह से नए तैनात अधिकारियों तक मामलों की जानकारी समय पर नहीं पहुंच पा रही और कोर्ट में जेडीए की पक्षधरता कमजोर पड़ रही है।
इस संबंध में सामने आए कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं—
पहले प्रकरण में जेडीए की उद्यान शाखा में वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे महेश तिवारी, जो लगभग तीन वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें अब भी जेडीए से जुड़े कोर्ट मामलों के एसएमएस मिल रहे हैं। उन्होंने कई बार संबंधित अधिकारियों को लिखित व मौखिक रूप से सूचित किया, लेकिन उनके मोबाइल नंबर को अब तक सिस्टम से नहीं हटाया गया है।
दूसरे प्रकरण में विद्युत शाखा में तैनात एक एक्सईएन का तबादला मूल विभाग में हो चुका है, इसके बावजूद कोर्ट केसों से जुड़ी सूचनाएं लगातार उनके पास आ रही हैं, जबकि उन्होंने कई बार इस संबंध में जेडीए प्रशासन को अवगत करा दिया है।
तीसरे मामले में पीआरएन साउथ क्षेत्र में पहले डीसी रहे एक आरएएस अधिकारी, जिनका करीब एक वर्ष पूर्व अन्य विभाग में तबादला हो चुका है, उन्हें भी जेडीए से जुड़े मामलों की सूचनाएं निरंतर भेजी जा रही हैं।
रिटायर्ड व स्थानांतरित अधिकारियों ने बार-बार आग्रह किया है कि उनके नाम और नंबर तत्काल अपडेट किए जाएं, लेकिन जेडीए के विधि विभाग की उदासीनता के चलते अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। ऐसे में ज़रूरत है कि जेडीए प्रशासन विधि अनुभाग की जवाबदेही तय करे और केस मॉनिटरिंग सिस्टम को तत्काल दुरुस्त कराए, ताकि भविष्य में अदालत में किसी भी तरह का नुकसान न झेलना पड़े।
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(Udaipur Kiran) / राजेश