

गुवाहाटी, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । असम में मनाए जा रहे “बाल अधिकार सप्ताह” के उपलक्ष्य में असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) तथा ड्रीम इंडिया नेटवर्क (डीआईएन) ने कॉटन विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के सहयोग से “मीडिया इंटरफ़ेस: बच्चों से संबंधित मुद्दों पर जिम्मेदार रिपोर्टिंग” का आयोजन किया।
इस मीडिया इंटरफ़ेस का उद्देश्य कामरूप महानगर, असम के पत्रकारों, संपादकों और मीडिया पेशेवरों को एक मंच पर लाना था, ताकि बच्चों से जुड़े मामलों पर नैतिक और संवेदनशील रिपोर्टिंग को बढ़ावा दिया जा सके, साथ ही मौजूदा रिपोर्टिंग मानकों एवं दिशानिर्देशों को सुदृढ़ किया जा सके। बढ़ते हुए संवेदनशील मामलों और सूचना की ऐसी प्रस्तुति, जो अक्सर बाल अधिकारों का उल्लंघन करती है, के परिप्रेक्ष्य में यह कार्यक्रम मीडिया संस्थानों को विभिन्न दिशानिर्देशों और जिम्मेदार पत्रकारिता के बारे में जागरूक और प्रशिक्षित करने पर केंद्रित था। इसमें (पीओसीएसओ), बाल श्रम, बाल विवाह, बच्चों के खिलाफ हिंसा तथा तस्करी आदि मामलों पर रिपोर्टिंग से जुड़े मुद्दे विशेष रूप से शामिल थे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. श्यामल प्रसाद सैकिया, आईपीएस (सेवानिवृत्त) एवं असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष उपस्थित होकर “बच्चों के खिलाफ अत्याचार से संबंधित समाचार प्रकाशित करने में मीडिया की भूमिका” विषय पर अपना समापन भाषण दिया। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार दुर्बा घोष, एएससीपीसीआर के सदस्य रिलांजना तलुकदार, चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट, यूनिसेफ के लक्ष्मी नारायण चंदा, विभागाध्यक्ष, जनसंचार, पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन, कॉटन कॉलेज के डॉ. सयानिका डेका, उत्सव के उप कार्यक्रम प्रबंधक, समीरण डेका तथा गुवाहाटी के प्रमुख प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया संस्थानों के पेशेवरों ने भी सक्रिय रूप से उपस्थित थे।
ड्रीम इंडिया नेटवर्क (डीआईएन) ने प्रतिबद्धता व्यक्त की है कि वह स्थानीय सरकारी संस्थाओं के सहयोग से ऐसे संवाद और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से मीडिया संस्थानों का समर्थन जारी रखेगा, ताकि बच्चों से संबंधित मुद्दों पर जिम्मेदार रिपोर्टिंग को बढ़ावा दिया जा सके और गुवाहाटी को एक बाल-अनुकूल शहर बनाने में योगदान दिया जा सके।
(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर