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जी20 दक्षिण अफ्रीका शिखर सम्मेलन: लीडर्स डिक्लेरेशन में भारत की प्राथमिकताओं की गूंज

दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में जोहान्सबर्ग में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित तमाम नेता

नई दिल्ली, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में जोहान्सबर्ग में सम्पन्न जी20 शिखर सम्मेलन में जारी लीडर्स डिक्लेरेशन ने यह स्पष्ट रखा है कि भारत की कूटनीतिक पहलकदमियां—चाहे वह डिजिटल तकनीक हो, जलवायु वित्त, आतंकवाद, खाद्य सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण या यूएनएससी सुधार—आज भी वैश्विक एजेंडा के केंद्र में हैं। घोषणा पत्र के कई हिस्सों में भारत की अध्यक्षता के दौरान स्थापित सिद्धांतों और प्राथमिकताओं को एक बार फिर दृढ़ता से स्वीकार किया गया है।

घोषणा पत्र में आतंकवाद पर वह स्पष्टता देखने को मिली जिसका भारत लगातार समर्थन करता रहा है। पैराग्राफ छह में कहा गया है, “हम आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करते हैं।” यह संक्षिप्त लेकिन अत्यंत सख्त भाषा भारत की वर्षों की कूटनीतिक कोशिशों का परिणाम है।

भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) मॉडल और एआई के सुरक्षित उपयोग की अवधारणा को डिक्लेरेशन में विस्तृत रुप से दोहराया गया है। पैराग्राफ 45 में कहा गया है, “सुरक्षित, संरक्षित और भरोसेमंद एआई के विकास, उपयोग और तैनाती के लिए मानवाधिकारों की रक्षा, पारदर्शिता, निष्पक्षता, जवाबदेही, उचित मानव पर्यवेक्षण, सुरक्षा, गोपनीयता, डेटा संरक्षण और डेटा शासन जैसे मुद्दों को संबोधित करना आवश्यक है।”

यह भारत द्वारा नई दिल्ली घोषणा में प्रस्तावित “मानव-केंद्रित एआई” मॉडल की वैश्विक पुष्टि है।

भारत द्वारा प्रस्तुत महिला-नेतृत्व वाला विकास के विचार को दक्षिण अफ्रीका डिक्लेरेशन में फिर से मजबूती मिली। भारत की पहल को वैश्विक स्तर पर दूसरी बार समर्थन मिला।

पैराग्राफ 101 में कहा गया है, “हम महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के प्रति अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता दोहराते हैं और महिला-नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देते हैं।”

यह दिखाता है कि महिलाओं को केवल लाभार्थी नहीं बल्कि विकास की अगुवाई करने वाली शक्ति के रूप में मान्यता देने का भारतीय विचार अब वैश्विक विमर्श का हिस्सा बन चुका है।

भारत ने 2023 में जिस आपदा प्रबंधन कार्यदल की शुरुआत की थी, उसे दोबारा बल मिला। दुनिया भर में बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं को लेकर इस बार भी भारत की भूमिका अहम रही। पैराग्राफ 9 में कहा गया है, “हम आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) जैसी पहलों को ध्यान में रखते हैं।”

यह स्वीकारोक्ति बताती है कि भारत का सीडीआरआई अब वैश्विक स्तर पर आपदा-रोधी ढाँचा तैयार करने का महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है।

ग्लोबल फूड सुरक्षा संकट पर भारत द्वारा तैयार किए गए दक्कन हाई लेवल प्रिंसिपल्स को महत्वपूर्ण आधार माना गया। पैराग्राफ 39 में कहा गया है, “हम दोबारा पुष्टि करते हैं कि भोजन मानव जीवन के केंद्र में है… जैसा कि दक्कन हाई-लेवल प्रिंसिपल्स के माध्यम से दोहराया गया है।”

यह सिद्धांत टिकाऊ, सुलभ और पोषण-केंद्रित खाद्य प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में भारत के नेतृत्व की पुष्टि है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में पारंपरिक चिकित्सा को मान्यता—भारत के लिए उपलब्धि

नई दिल्ली घोषणा के अनुरूप पारंपरिक चिकित्सा—आयुर्वेद, योग आदि—को इस बार भी मान्यता मिली। भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली में सहायक मानते हुए डिक्लेरेशन में उल्लेख किया गया। पैराग्राफ 104 में कहा गया है, “हम साक्ष्य-आधारित पारंपरिक और पूरक चिकित्सा की संभावित भूमिका को पहचानते हैं।” आयुर्वेद और योग जैसी भारतीय प्रणालियों के प्रति वैश्विक मान्यता बढ़ने का यह संकेत है।

भारत ने जलवायु न्याय और वित्त पर अधिक महत्वाकांक्षी, स्पष्ट और संख्यात्मक भाषा शामिल करवाई। पैराग्राफ 94 में कहा गया है, “जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वित्त और निवेश को ‘अरबों’ से बढ़ाकर ‘खरबों’ में तेजी से और व्यापक रूप से बढ़ाने की आवश्यकता है।”

पैराग्राफ 95 में कहा गया है, “विकासशील देशों को 2030 से पहले अपने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को लागू करने के लिए अनुमानित 5.8–5.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।”

इसके अतिरिक्त भारत की लाइफ पहल को भी फिर स्वीकारा गया।

पैराग्राफ 26 कहता है, “हम टिकाऊ उत्पादन–उपभोग पैटर्न अपनाने और लाइफ को मुख्यधारा में लाने के महत्व को स्वीकार करते हैं।”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार पर भारत की दीर्घकालिक मांग का समर्थन किया गया। सुरक्षा परिषद को अधिक प्रतिनिधिक और न्यायसंगत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

पैराग्राफ 83 में कहा गया है, “हम सुरक्षा परिषद में ऐसे परिवर्तन का संकल्प लेते हैं जिससे यह अधिक प्रतिनिधिक, समावेशी, प्रभावी और पारदर्शी बने… और अफ्रीका, एशिया-प्रशांत और लैटिन अमेरिका जैसे कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों को अधिक प्रतिनिधित्व मिले।”

यह भारत की उस पुरानी मांग का प्रत्यक्ष समर्थन है जिसमें यूएनएससी को 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुरूप बनाने की बात कही जाती है।

जोहान्सबर्ग लीडर्स डिक्लेरेशन से यह स्पष्ट है कि भारत की अध्यक्षता के दौरान स्थापित कई वैश्विक ढांचे—डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, मानव-केंद्रित एआई, महिला-नेतृत्व विकास, आपदा-रोधी अवसंरचना, दक्कन खाद्य सुरक्षा सिद्धांत, पारंपरिक चिकित्सा और लाइफ मॉडल आज भी जी20 की दिशा तय कर रहे हैं।

ग्लोबल साउथ की आवाज़ को वैश्विक निर्णय-प्रक्रिया में केंद्र में लाने में भारत ने निर्णायक भूमिका निभाई है, और साउथ अफ्रीका शिखर सम्मेलन ने एक बार फिर इस प्रभाव को प्रमाणित किया है।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार