
56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के दूसरे दिन विख्यात फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी बेबाकी और संवेदनशील विचारों से भरी एक विशेष मास्टरक्लास में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘अनस्क्रिप्टेड: द आर्ट एंड इमोशन ऑफ फिल्ममेकिंग’ शीर्षक से आयोजित इस सत्र का संचालन पुरस्कार-विजेता स्क्रीनराइटर अभिजात जोशी ने किया। हॉल खचाखच भरा था, जो विधु विनोद चोपड़ा की लोकप्रियता और पीढ़ियों पर उनके प्रभाव को दर्शाता है।
मंत्रालय सूचना एवं प्रसारण, एनएफडीसी और गोवा सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित आईएफएफआई 2025 इस वर्ष भी ज्ञान-विनिमय और फिल्म निर्माण की बारीकियों को समझाने वाली मास्टरक्लासों के माध्यम से अपने उद्देश्य को मजबूत करता दिखा। इस दौरान विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी तीन महत्वपूर्ण फिल्मों, ‘परिंदा’, ‘1942 : ए लव स्टोरी’ और ’12th फेल’, के जरिए बताया कि कैसे हर फिल्म उस दौर में उनके व्यक्तित्व और परिस्थितियों से प्रभावित थी।
विधु विनोद चोपड़ा ने कहा, जब मैंने परिंदा बनाई, तब मैं खुद बहुत हिंसक स्वभाव का था। अब मैं काफी शांत हूं और इसका श्रेय अनुपमा को जाता है, जो 30 साल से मेरे साथ हैं। उन्होंने मुझे बदल दिया। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि फिल्म का अंत बदलने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स ने उन्हें 11 लाख रुपये नकद देने की पेशकश की थी, ताकि अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित का किरदार जीवित दिखाया जा सके। मैंने साफ कहा कि मैं यह नहीं कर सकता, क्योंकि फिल्म का संदेश ही है कि हिंसा का जवाब हिंसा है, उन्होंने कहा।
’12th फेल भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी व्यक्तिगत प्रतिक्रिया है’
’12th फेल’ पर बात करते हुए चोपड़ा ने बताया कि यह फिल्म समाज में फैल रहे भ्रष्टाचार को लेकर उनकी व्यक्तिगत वेदना और गुस्से का परिणाम थी। उन्होंने कहा, मेरे चारों ओर फैला भ्रष्टाचार मुझे 12th फेल बनाने के लिए प्रेरित करता रहा। मैं इस स्तर के भ्रष्टाचार को देखकर ऊब चुका हूं। यदि यह फिल्म सिस्टम के एक छोटे से हिस्से को भी ईमानदारी चुनने के लिए प्रेरित कर सके, तो मैं इसे अपनी सफलता मानूंगा, उनके इस कथन पर पूरे सभागार में जोरदार तालियां गूंज उठीं।
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(Udaipur Kiran) / लोकेश चंद्र दुबे