Chhattisgarh

एग्रीस्टेक अपडेट के बाद भी नहीं हो रही किसानों की धान खरीद, भटकने को किसान मजबूर

सहकारी समिति रामपुर।

धमतरी, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू हो चुकी है, लेकिन एग्रीस्टेक अपडेट होने के बाद भी बड़ी संख्या में किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है। इससे किसानों में भारी नाराज़गी देखी जा रही है। सात दिन से खरीद प्रक्रिया जारी है, लेकिन कई किसान अब भी सोसाइटी और राजस्व कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

जानकारी के अनुसार, राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में कई किसानों का एग्रीस्टेक अपडेट हो चुका है, इसके बावजूद सोसाइटी पोर्टल पर नया रकबा नहीं दिख रहा है। इस तकनीकी गड़बड़ी के कारण किसानों को टोकन और खरीद की अनुमति नहीं मिल पा रही है। भखारा क्षेत्र में ऐसी शिकायतें अधिक सामने आ रही हैं। किसानों ने सवाल उठाया है कि यदि पूर्व भूस्वामी अपना एग्रीस्टेक अपडेट हटाने तैयार नहीं है तो क्या वास्तविक जमीन मालिक का धान नहीं खरीदा जाएगा? इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर समितियों द्वारा स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा, जिससे किसान भ्रम और तनाव में हैं। राजस्व विभाग का कहना है कि यदि एग्रीस्टेक पोर्टल पर रकबा दर्ज है तो धान खरीदी की जिम्मेदारी समिति की है। दूसरी ओर समितियां जिम्मेदारी राजस्व विभाग पर डाल रही हैं। दोनों विभागों के बीच जिम्मेदारी तय न होने का खामियाज़ा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

किसानों का आरोप है कि समिति के कर्मचारी उच्च अधिकारियों से मार्गदर्शन लेने के बजाय किसानों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसान परेशान, असमंजस में और बार-बार अधिकारियों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इसी तरह की स्थिति कई अन्य गांव में है। जिले के किसानों ने तकनीकी खामियों को जल्द से जल्द दूर करने की मांग की है ताकि वे समय रहते समर्थन मूल्य में अपने धान की बिक्री कर सके।

एग्रीस्टेक पोर्टल में वारिसान धान पंजीयन का विकल्प नहीं’

बहुजन समाज पार्टी के जिला प्रभारी आशीष रात्रे ने एग्रीस्टेक पोर्टल में वारिसान धान पंजीयन का विकल्प उपलब्ध नहीं होने पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस तकनीकी कमी के कारण हजारों किसान पंजीयन से वंचित हो रहे हैं और धान विक्रय की प्रक्रिया अनावश्यक रूप से जटिल बन गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने किसानों से ‘एक-एक दाना खरीदने’ का वादा किया था, लेकिन अब जब धान खरीदी का समय आ गया है, तो पंजीयन को इतना कठिन बना दिया गया है कि किसान तहसील और समिति केंद्रों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। पंजीयन अनिवार्यता के नाम पर किसानों को परेशान किया जा रहा है, ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार नहीं चाहती कि किसानों का धान समय पर बिक सके। उन्होंने बताया कि प्रदेश में करीब पांच लाख वारिसान एवं अन्य प्रकरण ऐसे हैं जिनका एग्रीस्टेक पोर्टल में सूचीबद्धीकरण अब तक नहीं हुआ है। इस देरी के चलते बड़ी संख्या में किसान इस वर्ष धान विक्रय से वंचित होने की आशंका में हैं। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि वारिसान धान पंजीयन का विकल्प तत्काल उपलब्ध कराया जाए व पंजीयन प्रक्रिया को सरल हो।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा