
जयपुर, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान पुलिस अकादमी में शुक्रवार को उत्कृष्टता के साथ पुलिसिंग-आगे की राह थीम पर राज्य स्तरीय पुलिस सम्मेलन 2025 का भव्य आयोजन किया गया, जो ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से संचालित हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि महानिदेशक पुलिस प्रशिक्षण एवं यातायात अनिल पालीवाल ने अपने उदबोधन में पुलिसिंग में तकनीकी और मानवीय पहलुओं के बीच सामंजस्य पर बल देते हुए श्रीमद्भगवतगीता के उद्धरण इच्छति-जानति-करोति की महत्ता को रेखांकित किया। इस अवसर पर महानिदेशक गृह रक्षा मालिनी अग्रवाल ने अपराधियों के नई तकनीकों में माहिर होने का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए क्षेत्रानुसार अलग-अलग कॉन्फ्रेन्स आयोजित कर रणनीति बनाने की आवश्यकता बताई।
नवीन कानूनों से न्याय की प्रक्रिया में क्रान्ति
सम्मेलन के पहले सत्र में महानिरीक्षक पुलिस इन्टेलीजेन्स प्रफुल्ल कुमार ने नवीन आपराधिक कानूनों के प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि नए कानून दण्ड के स्थान पर न्याय की बात करते हैं, जिसके तहत सभी प्रक्रियाओं के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। अब जीरो एफआईआर का प्रावधान लागू हो गया है, जिसके तहत पुलिस स्वतः संज्ञान लेकर भी एफआईआर दर्ज कर सकती है। साथ ही अनुसंधान के लिए पूछताछ के लिए बुजुर्गों की आयु सीमा 65 से घटाकर 60 वर्ष की गई है। गंभीर और आदतन अपराधियों को हथकड़ी लगाने की अनुमति जैसे नए प्रावधान किए गए हैं। अपराधों से अर्जित संपत्ति को अपने नाम करने पर 03 वर्ष की सज़ा का प्रावधान कर इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
एआई और एलओटी:पुलिसिंग के लिए बड़ी चुनौती और अवसर
द्वितीय सत्र पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, चैट जीपीटी, डीप फेक और इंटरनेट का थिंग्स (आईओटी) पर केंद्रित रहा। महानिरीक्षक पुलिस एससीआरबी श्री अजय पाल लाम्बा ने बताया कि किस तरह एआई के प्रभावी उपयोग से दिल्ली पुलिस ने 3000 से अधिक गुमशुदा बच्चों को बरामद करने में सफलता पाई है। उन्होंने यातायात चालान जैसे कई क्षेत्रों में एआई के अनुप्रयोग को रेखांकित किया। उप महानिरीक्षक पुलिस साइबर अपराध श्री विकास शर्मा ने जोर देकर कहा कि यदि पुलिसकर्मी अगले 2-3 वर्षों में एआई को नहीं जानेंगे तो पीछे रह जाएंगे। उन्होंने डेटा चोरी, वीआईपी मूवमेंट का डेटा चोरी होने जैसी चुनौतियों और इससे निपटने के लिए एआई प्रशिक्षण को आवश्यक बताया।
कमजोर वर्ग सुरक्षा: नवाचार और सामुदायिक सहयोग
तृतीय सत्र में एडीजी सिविल राईट्स लता मनोज कुमार और पुलिस अधीक्षक जयपुर ग्रामीण राषि डोगरा ने महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों के विरुद्ध अपराधों पर प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा की। नए आपराधिक कानूनों में इन अपराधों के लिए चेप्टर (5) अलग से जोड़ा गया है। इस सत्र में पोक्सो, ई-बॉक्सजैसे ऑनलाइन साधनों का उपयोग करने, महिला मजिस्ट्रेट या महिला कर्मी की उपस्थिति में पीड़िता के बयान लेने और वूमेन सेफ्टी एम्बेसडर जैसे नए उपागम चलाने पर बल दिया गया। सामुदायिक पुलिसिंग की मिसाल पेश करते हुए बताया गया कि कैसे चूरू पुलिस अधीक्षक और ज़िला कलेक्टर ने दलित दूल्हे की बिंदौरी के समय खुद उपस्थित होकर समाज को एक सकारात्मक संदेश दिया।
सड़क सुरक्षा: प्रभावी प्रबंधन से मृत्यु दर कम करने का लक्ष्य
चतुर्थ सत्र सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन पर केंद्रित रहा। एडीजी यातायात बी.एल. मीणा ने चिंता व्यक्त की कि राजस्थान में सड़क दुर्घटना में मृत्यु दर (10-11 हज़ार) हत्या की तुलना में 4 से 5 गुना अधिक है। डीसीपी यातायात सुमित मेहरडा ने बताया कि मृत्यु दर को कम करने के लिए एनएचएआई और पीडब्लूडी के सहयोग से 1100 अवैध कटों को रोका गया और 1250 साइन बोर्ड लगाए गए हैं। उन्होंने जानकारी दी कि 2318वब्लैक स्पॉट में से 2084 को सही कर दिया गया है। इसके अलावा तेज गति वाले वाहनों का चालान कर ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने और गुड़ सेमेरिटन को 1 लाख रुपये तक का ईनाम देने के प्रावधानों पर जागरूकता अभियान पर विस्तार से चर्चा की। यह सम्मेलन राजस्थान पुलिस के लिए भविष्य की चुनौतियों से निपटने और न्याय, शांति का प्रथम न्यासवके सिद्धांत को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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(Udaipur Kiran)