Maharashtra

दिव्यांगों को रुकी हुई पेंशन स्कीम का जल्द ही लाभ- विधायक केलकर

Disable get benifits of stalled pension scheme

मुंबई,21 नवंबर ( हि.स.) । संजय गांधी निराधार योजना के दिव्यांग आवेदकों के सभी मामले, जो रेड टेप और डॉक्यूमेंट्स में गलतियों में फंसे हुए हैं, दिसंबर के आखिर तक सुलझ जाएंगे और उन्हें हर महीने 2500 रुपये पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। यह फैसला ठाणे विधायक संजय केलकर की संबंधित डिपार्टमेंट के अधिकारियों की मीटिंग में आज लिया गया।

ठाणे विधायक संजय केलकर को जनसेवाकच जनसंवाद प्रोग्राम में इस मुद्दे पर कई रिप्रेजेंटेशन मिले। करीब 55 दिव्यांग भाइयों ने केलकर से मिलकर शिकायत की थी कि उन्हें संजय गांधी निराधार योजना के तहत पेंशन स्कीम का फायदा मिलने में दिक्कतें आ रही हैं। आज मिस्टर केलकर ने संबंधित डिपार्टमेंट के अधिकारियों को बुलाया था। इस बात पर चर्चा हुई कि दिव्यांग भाइयों ने इस स्कीम का फ़ायदा उठाने के लिए जो डॉक्यूमेंट्स जमा किए हैं, उनमें गलतियाँ हैं और उनके केस रेड टेप में अटके हुए हैं और उन्हें राज्य सरकार की इस बड़ी स्कीम का फ़ायदा नहीं मिल रहा है। अधिकारियों ने तय किया कि इन सभी केसों को ज़रूरी बदलावों के साथ 30 नवंबर तक मंज़ूरी दे दी जाएगी और दिव्यांगों को दिसंबर में इस स्कीम का फ़ायदा मिलेगा। इससे सैकड़ों दिव्यांग भाइयों को पेंशन मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है।

इस बारे में बात करते हुए विधायक संजय केलकर ने कहा, राज्य सरकार की कई स्कीमें सामने आती हैं, लेकिन जब उन्हें लागू करने के लिए फ़ॉलो-अप करना होता है, तो नागरिकों को फ़ायदा मिलता है। दिव्यांगों के पेंडिंग केसों को मंज़ूरी देने के लिए स्पेशल मीटिंग बुलाकर इस मसले को सुलझा लिया गया है। इन दिव्यांग भाइयों को हर महीने 2500 रुपये पेंशन मिलेगी और उनकी रोज़ी-रोटी का मसला हल हो जाएगा।

नालासोपारा में बिल्डिंग 10 साल पहले गिरा दी गई थी। आज तक वहाँ रहने वालों को घर नहीं मिले हैं। विधायक केलकर ने कहा कि वे संबंधित अधिकारियों से बात करके कोई रास्ता निकालेंगे। मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अलग-अलग हिस्सों में सफाई का काम करने वाले कर्मचारियों ने भी आज केलकर से मुलाकात की और विरासत के अधिकारों के बारे में अपनी शिकायतें बताईं। केलकर ने कहा कि वे जल्द ही मुंबई म्युनिसिपल कमिश्नर से मिलेंगे और योग्य कर्मचारियों के विरासत के अधिकारों के मुद्दे को सुलझाएंगे।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा