
नई दिल्ली, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (आईपीयू) में शुक्रवार को गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) केएल जौहर की लिखित दो महत्वपूर्ण पुस्तकें – गुरु गोबिंद सिंह : ए सेंट सोल्जर और 101 ग्रेट रिवोल्यूशनरी फ्रीडम फाइटर्स ऑफ इंडिया का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि लिखे शब्द कभी नहीं मरते, लिखित शब्द अमर है। उन्होंने कहा कि कई महान व्यक्तियों के जीवन और योगदान कम ज्ञात हैं। उन्होंने कहा कि जब इन लोगों के बारे में बार-बार पढ़ते हैं, तो एहसास होता है कि ऐसी पुस्तकें क्यों आवश्यक हैं।
डीयू के कुलपति ने प्रो. जौहर की 89 वर्ष की आयु में भी कम समय में दो पुस्तकें लिखने की उल्लेखनीय ऊर्जा की भी प्रशंसा की। उन्होंने प्रो. जौहर की रिक्शा खींचने से लेकर कुलपति बनने तक की यात्रा को वास्तव में प्रेरणादायक बताया।
वहीं, प्रो. जौहर ने कहा कि ये उनकी 39वीं और 40वीं पुस्तकें हैं और दो और पांडुलिपियां वर्तमान में तैयार की जा रही हैं। उन्होंने दोनों प्रकाशनों के पीछे के विषयों, अनुसंधान और प्रेरणा पर विस्तार से बताया। उन्हाेंने इतिहास को उल्लेखनीय स्पष्टता और सुंदरता के साथ उद्धृत किया। अज्ञात स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा के योगदान पर भी प्रकाश डाला, उनके भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका पर ध्यान आकर्षित किया।
आईपीयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) महेश वर्मा ने प्रकाशनों की प्रशंसा की और उनके समकालीन महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों पुस्तकें कम ज्ञात तथ्यों का उपयोग करके इतिहास को पुनः देखने और पुनः व्याख्या करने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करती हैं।
आईपीयू के कुलपति ने कहा कि भारत को वास्तव में विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए आज के युवाओं को अपने अतीत की ताकत को समझना चाहिए। उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को बढ़ावा देने में ऐसी पुस्तकों के महत्व पर भी जोर दिया।
इस कार्यक्रम में शहीद भगत सिंह के भतीजे और प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रो. जगमोहन सिंह ने भी भाग लिया, साथ ही कई प्रतिष्ठित विद्वान, संकाय सदस्य और छात्र भी उपस्थित थे।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी