
नई दिल्ली, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और दिल्ली की गृहमंत्री आशीष सूद ने तिहाड़ परिसर में बुधवार को एक नई गौशाला और तीन आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) पहलों का शुभांरभ किया।
मंत्री आशीष सूद ने कहा कि गौ-सेवा और संरक्षण हमारी संस्कृति, करुणा और सद्भाव के मूल्यों को और सुदृढ़ करते हैं। इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए आज तिहाड़ जेल में गौशाला का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर अन्य महत्वपूर्ण पहलों की भी समीक्षा की गई और भविष्य की कार्ययोजनाओं पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने इस दौरान यहां गौ सेवा भी की।
तिहाड़ जेल के प्रवक्ता अरविंद कुमार ने बताया कि महानिदेशक जेल एसबीके सिंह के नेतृत्व में तिहाड़ मानवता और आत्मनिर्भरता के एक आदर्श की ओर अग्रसर है, एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। ये पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से प्रेरित हैं और यह न केवल एक आयोजन है, बल्कि एक ऐसा आंदोलन है जो आधुनिक नवाचार के साथ भारत की समृद्ध परंपरा की शुरुआत करता है। यह तिहाड़ को शिक्षा, करुणा और पारदर्शिता के केंद्र के रूप में स्थापित करता है। तिहाड़ स्थित गौशाला, देशी गायों, विशेष रूप से साहीवाल गायों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगी। इससे कैदियों को जेल में रहते हुए भी अपनी आय बढ़ाने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में मदद मिलेगी। गौशाला उन कैदियों को गौ चिकित्सा का अवसर भी प्रदान करेगी जो अकेले हैं और जिनके परिवार या दोस्त उनसे मिलने नहीं आते।
अरविंद कुमार ने बताया कि दूसरी पहल तिहाड़ बेकिंग स्कूल (तिहाड़ बेकरी) का डिजिटल एकीकरण और ओएनडीसी तथा माई स्टोर प्लेटफार्म के माध्यम से तिहाड़ उत्पादों को ऑनलाइन उपलब्ध कराना है, ताकि तिहाड़ के उत्पाद घर-घर पहुंच सकें। आज उद्घाटन किया गया इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम, भोजन, दवा और अन्य आवश्यक वस्तुओं जैसी आवश्यक आपूर्ति के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करेगा। यह इन वस्तुओं की खरीद में वास्तविक समय पर नजर रखने में सक्षम होगा। साथ ही यह पुनः ऑर्डर और खरीद के लिए अलर्ट भी जारी करेगा, जिससे प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित होगी। यह वर्तमान प्रणाली में स्मार्ट गवर्नेंस के ढांचे को मजबूत करेगा।
अरविंद कुमार ने बताया कि डिजिटल इंडिया के अनुरूप आज तिहाड़ में एनजीओ के लिए एक नई वेबसाइट का उद्घाटन किया गया। एनजीओ अब इस वेबसाइट के माध्यम से निःशुल्क पंजीकरण कर सकते हैं और अनुमोदन के बाद वे इस पर काम करना शुरू कर सकते हैं। अब एनजीओ के लिए एक साथ काम करना और अपनी गतिविधियों को वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड करना आसान हो जाएगा। यह पहल एनजीओ को एक साथ लाएगी और एक सहयोगात्मक प्रयास का निर्माण करेगी जिसका लाभ कैदियों को मिलेगा।
—————
(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव