Chhattisgarh

कोरबा : ग्रामीणों ने पेश की मिसाल, वर्षों से लंबित सड़क मांग पूरी करने श्रमदान से बनाया रास्ता

कोरबा : पाली ब्लॉक के छिंदपहरी गांव में ग्रामीणों ने पेश की मिसाल, वर्षों से लंबित सड़क मांग पूरी करने श्रमदान से बनाया रास्ता
कोरबा : पाली ब्लॉक के छिंदपहरी गांव में ग्रामीणों ने पेश की मिसाल, वर्षों से लंबित सड़क मांग पूरी करने श्रमदान से बनाया रास्ता

कोरबा, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । जिले के पाली विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत सपलवा का छोटा सा गांव छिंदपहरी आज पूरे क्षेत्र में उदाहरण बनकर उभरा है। ब्लॉक मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में सड़क की समस्या वर्षों से लोगों की परेशानियों का कारण बनी हुई थी। कई बार आवेदन, निवेदन और जनप्रतिनिधियों के आश्वासनों के बावजूद जब सड़क निर्माण नहीं हो सका, तो गांव के लोगों ने स्वयं आगे बढ़ते हुए श्रमदान का निश्चय किया। सामूहिक प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि अब गांव तक वाहन आसानी से पहुंच सकते हैं और ग्रामीणों के चेहरे पर राहत दिख रही है।

करीब 160 की आबादी और 45 परिवारों वाले इस गांव में पहाड़ी भूभाग होने से बरसाती दिनों में कच्ची सड़क पूरी तरह बह जाती थी। पगडंडी से होकर गुजरना पड़ता था। इस कारण स्कूल जाने वाले बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बीमार लोगों को अस्पताल ले जाना बेहद मुश्किल हो जाता था। ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन को आवेदन दिया, लेकिन सड़क निर्माण प्रस्ताव फाइलों में ही अटका रहा।

गांव के युवाओं ने अब इंतजार खत्म कर स्वयं समस्या समाधान की पहल की। ग्राम के युवा अमित धनवार, रामू मरकाम, सुरेश उरांव, लखन कंवर और दिलीप मरकाम के नेतृत्व में ग्रामीण एकत्र हुए। बैठक में सभी 45 परिवारों ने फैसला किया कि सड़क का मरम्मत कार्य श्रमदान से किया जाएगा। अगले ही दिन सुबह गांव के पुरुष, महिलाएं और युवा गैती-फावड़ा लेकर गड्ढों को भरने, रास्ते को चौड़ा करने और समतलीकरण के लिए जुट गए।

ग्राम के बुजुर्ग मोतीराम मरकाम बताते हैं, “हमारी कई पीढ़ियां इसी मिट्टी में पली-बढ़ी हैं, लेकिन आज तक सड़क, बिजली, पुल-पुलिया जैसी सुविधाओं से वंचित रहे। अब बच्चों और बीमारों को परेशानी न हो, इसलिए हमने खुद ही रास्ता बनाया।” ग्रामीण कैलाश उइके कहते हैं, “सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक चुके थे। अब गांव तक चारपहिया वाहन भी आसानी से पहुंच रहे हैं। यह हम सबके सामूहिक प्रयास का परिणाम है।”

स्कूल की समस्या भी गंभीर

छिंदपहरी में कम आबादी का हवाला देकर प्राथमिक स्कूल अभी तक नहीं खोला गया है। बच्चों को प्रतिदिन तीन किलोमीटर दूर सपलवा जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है। गांव की महिलाओं रीना कंवर और चंपा उरांव ने बताया कि छोटे बच्चों को बारिश में कीचड़ भरे रास्ते से स्कूल भेजना बहुत कठिन हो जाता है। ग्रामीण अब स्कूल खोलने की मांग को भी मजबूती से उठाने की तैयारी कर रहे हैं।

ग्रामीणों के जज्बे की सराहना

पाली ब्लॉक के इस दूरस्थ वनांचल गांव ने दिखा दिया कि सामूहिक इच्छाशक्ति से बदलाव हमेशा संभव है। सड़क निर्माण में ग्रामीणों का यह श्रमदान न केवल एक मिसाल है, बल्कि प्रशासन के लिए भी संदेश है कि बुनियादी सुविधाओं की ओर ध्यान देना अब अत्यंत आवश्यक है। छिंदपहरी गांव का यह सकारात्मक प्रयास अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन चुका है।

(Udaipur Kiran) / हरीश तिवारी

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(Udaipur Kiran) / हरीश तिवारी