Maharashtra

ठाणे भविष्यगामी पर्यावरण अनुकूल शहर ,प्रदूषण बोर्ड अध्यक्ष कदम

Thane is a futuristic ECO friendly city

मुंबई ,18 नवंबर ( हि. स.) ।ठाणे नगर निगम पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं के साथ-साथ आवासीय परिसरों में सीवेज के पुनर्चक्रण आदि के लिए प्रयासरत है। ठाणे एक स्वच्छ, हरा-भरा शहर है, लेकिन अगर हर नागरिक ठाणे नगर निगम द्वारा कार्यान्वित गतिविधियों में शत-प्रतिशत भाग लेता है, तो अगली पीढ़ी और भी अधिक पर्यावरण-अनुकूल ठाणे शहर का अनुभव कर सकेगी, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश कदम ने आज ठाणे नगर निगम में कहा।

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश कदम की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में मनपा आयुक्त सौरभ राव, अतिरिक्त आयुक्त 2 प्रशांत रोडे, नगर अभियंता प्रशांत रोडे, पर्यावरण विभाग की मुख्य पर्यावरण अधिकारी मनीषा प्रधान, स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रानी शिंदे और विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

ठाणे या किसी भी शहर में प्रदूषण केवल उस शहर तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य और देश को प्रभावित करता है, इसलिए प्रत्येक शहर के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि वे अपने घरों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के तरीकों के बारे में दूसरों के साथ जानकारी का आदान-प्रदान करें। अध्यक्ष ने बताया कि महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शहर में निर्माणाधीन इमारतों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए रेडी मिक्स प्लांट को ढकने, रेडी मिक्स परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहनों के टायरों की धुलाई जैसे विभिन्न मामलों में मनपा को पहले ही निर्देश दे दिए हैं और उनका क्रियान्वयन किया जा रहा है तथा इसे और अधिक प्रभावी ढंग से करने की आवश्यकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि यदि शहर में प्रवेश करने वाले बड़े वाहनों के टायरों की धुलाई शहर के प्रवेश द्वार पर ही कर दी जाए, तो उनसे शहर में निकलने वाली धूल की मात्रा कम हो जाएगी और इससे सड़कों पर धूल पर नियंत्रण होगा। सभापति ने इस बैठक में नागरिकों द्वारा सार्वजनिक वाहनों का अधिकतम उपयोग कैसे किया जाए, इस पर एक कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी दिए।

धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित नए दिशानिर्देशों को सभी आरएमसी परियोजनाओं में सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और उनके सख्त अनुपालन के लिए आदेश जारी किए जाने चाहिए, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश कदम ने निर्देश दिए।

नया सीवरेज चैनल बिछाते समय, उपचारित जल के पुनर्चक्रण के लिए आवश्यक सीवरेज चैनल भी उसके साथ बिछाया जाना चाहिए। संसाधित सीवेज का अधिक मात्रा में उपयोग करना आवश्यक है। सीवेज उपचार संयंत्र से निकलने वाले सीवेज का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाना चाहिए। इससे ठाणे नगर निगम को बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त होगा।

निजी सीवेज चैनलों के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति लेना अनिवार्य होना चाहिए। साथ ही, उक्त सीवेज परियोजना से संसाधित जल का उपयोग उक्त निजी परिसर में शौचालयों, उद्यानों और कार धुलाई के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। साथ ही, भूजल सर्वेक्षण भी कराया जाना चाहिए।

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश कदम ने ठाणे नगर निगम द्वारा एकल-उपयोग प्लास्टिक के संबंध में की जा रही कार्रवाई की समीक्षा की और एकल-उपयोग प्लास्टिक के संबंध में व्यापक स्तर पर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने यह भी कहा कि ठाणे नगर निगम अपने स्तर पर एक कानून बनाकर शहर के उन होटलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है जहाँ भोजन परोसने के लिए प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने निर्देश दिए कि एकल-उपयोग प्लास्टिक के संबंध में तीव्र गति से अभियान चलाया जाए। ठाणे नगर निगम को एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अलग प्रकोष्ठ स्थापित करना चाहिए और समय-समय पर एकल-उपयोग प्लास्टिक को जब्त करना चाहिए। इस संबंध में उप-नियमों में संशोधन किया जाना चाहिए और शैक्षणिक संस्थानों को शामिल करके बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा की जानी चाहिए।

उन्होंने निर्देश दिए कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए साइट पर उपयोग की जाने वाली टोगो वैन का अधिक उपयोग किया जाए और यदि आवश्यक हो, तो नगर निगम महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इसके लिए अनुरोध करे। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में गीले और सूखे कचरे को बड़े पैमाने पर अलग करने के लिए जन जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। समय-समय पर स्वच्छता अभियान चलाकर सड़कों की सफाई के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो नगरपालिका को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सफाई मशीनों की माँग दर्ज करानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि नगरपालिका को बड़े पार्कों में आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने चाहिए और उपचारित सीवेज का उपयोग वहाँ वृक्षारोपण के लिए किया जाना चाहिए। निर्माण क्षेत्र के पेशेवरों को कम लागत वाले वायु सेंसर लगाने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए। साथ ही, बूचड़खानों से निकलने वाले कचरे का उचित नियोजन किया जाना चाहिए। साथ ही, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सिद्धेश कदम ने बैठक में वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय करने के निर्देश दिए।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा