CRIME

एएनटीएफ ने सूरत, सांचौर और जोधपुर में छापेमारी कर पकड़े तीन तस्कर

एएनटीएफ का सूरत,सांचौर और जोधपुर में छापेमारी कर पकड़े तीन तस्कर

जयपुर, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) की टीमों ने सूरत, सांचौर और जोधपुर में कार्रवाई करते हुए तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार तस्करों में दो तस्करों पर पच्चीस—पच्चीस हजार रुपये का इनाम घोषित है। जिनके पास से 2 करोड़ 50 लाख रुपये की नशे की खेप भी बरामद की है। फिलहाल तस्करों से पूछताछ की जा रही है।

एएनटीएफ पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) विकास कुमार ने बताया कि एएनटीएफ टीम ने सेड़िया (जालौर) निवासी सुरेश विश्नोई को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से 2 करोड 50 लाख रुपये का मादक पदार्थ जब्त किया गया है। इसके अलावा पच्चीस हजार रुपये के इनामी तस्कर रामस्वरूप विश्नोई निवासी बाड़मेर को भी सूरत से गिरफ्तार किया है। वहीं एक अन्य पच्चीस हजार रुपये के इनामी तस्कर महेश गिरी निवासी बाडमेर को जोधपुर से गिरफ्तार किया गया है।

आईजी विकास कुमार ने बताया कि बताया कि सुरेश दसवीं में फेल होने के बाद सूरत (गुजरात) में एसी-फ्रिज रिपेयरिंग का काम करने लगा था। इसके बाद में डायमंड कटिंग में हाथ आजमाए। फिर चाचा बुद्धाराम के संपर्क में आया और एमडी—हेरोइन और स्मैक की तस्करी करने लगा। पहले उसने फुटकर माल लेकर युवाओं को पुड़िया सप्लाई करने का काम किया और फिर बड़ी खेप की सप्लाई करने लगा। उसके नाइजीरिया तक संपर्क होने पर वह नाइजीरिया से नशे की खेप मंगवाता और हवाला से रकम ट्रांसफर करता था।

आईजी ने बताया कि दूसरे आरोपित रामस्वरूप ने पहले डीजे का काम किया और फिर कोविड काल में धंधा चौपट होने पर वह बाड़मेर आकर नशे की सप्लाई करने लगा। 2024 में बाड़मेर में पकड़ा गया और जेल से छूटने के बाद गुजरात चला गया।

पुलिस से बचने के लिए उसने नेपाली लड़की से शादी की और परिवार से संपर्क तोड़ लिया। उसके परिजनों ने उसके सड़क हादसे में मारे जाने की भी अफवाह उड़ाने का प्रयास किया। उसके नेपाली सास-ससुर पिछले दिनों उसके घर आकर रुके थे। इसके बाद एएनटीएफ को उसके बारे में जानकारी मिली और उसे सूरत से गिरफ्तार किया गया। वहीं तीसरी कार्रवाई में पकड़े गए महेश गिरी पर प्रदेश के पांच जिलों और गुजरात के अहमदाबाद में मुकदमे दर्ज हैं। वह शराब और अन्य नशे की तस्करी करता है। पांचवीं तक पढ़ाई करने के बाद वह मुंबई में फर्नीचर का काम करता था। इसके बाद में ट्रक चालक का काम करते समय हरियाणा के चंदू जाट के संपर्क में आया और हरियाणा से शराब की तस्करी करने लगा। अहमदाबाद में शराब तस्करी का केस दर्ज हुआ तो वह गांव आ गया। इसके बाद वह गुजरात गया और उंझा मंडी में मजदूरी करने लगा। इस दौरान चिराग भाई नाम के शख्स से परिचय हुआ और वह फिर से शराब की तस्करी करने लगा। दिखाने के लिए गुजरात में नौकरी करता। लेकिन तस्करी से मोटी कमाई करता था।

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(Udaipur Kiran)