Uttar Pradesh

पराली जलाने पर अब होगी सख़्त कार्रवाई, एडीएम की अध्यक्षता में बना कंट्रोल सेल

फाइल फोटो

किसानों से अपील, फसल अवशेष न जलाएं, खाद व चारे के रूप में करें उपयोग

बांदा, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर शासन अब पूरी तरह सख्त हो गया है। खेतों में पराली, पुआल, पैरा या अन्य कृषि अपशिष्ट जलाए जाने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे वातावरण में मौजूद गैसों के साथ खतरनाक कोलाइड बनते हैं। इससे हवा जहरीली हो जाती है और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। श्वांस संबंधी बीमारियों में बढ़ोत्तरी भी इसी कारण दर्ज की जा रही है। साथ ही, पराली जलाने से मृदा में मौजूद लाभकारी जीवाणुओं की संख्या तेजी से घट रही है।

इन्हीं समस्याओं को देखते हुए शासन के निर्देश पर जनपद में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) की अध्यक्षता में एक विशेष कंट्रोल सेल का गठन किया गया है, जिसमें अपर पुलिस अधीक्षक सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी सदस्य बनाए गए हैं। शासनादेश के तहत प्रत्येक विकासखण्ड और तहसील स्तर पर सचल दल (मोबाइल टीमें) गठित की गई हैं, जिनमें उप जिलाधिकारी, पुलिस क्षेत्राधिकारी, खंड विकास अधिकारी तथा संबंधित थाना प्रभारी शामिल हैं। ये टीमें फसल कटाई से लेकर रबी की बुवाई तक लगातार फील्ड में सक्रिय रहेंगी।

कंट्रोल सेल की निगरानी में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फसल कटाई में उपयोग हो रहे सभी कम्बाइन हार्वेस्टर एसएमएस, स्ट्रॉ रीपर, बेलर या अन्य अवशेष प्रबंधन उपकरणों से लैस हों। बिना इन उपकरणों के चल रहे कम्बाइन को तुरंत सीज कर दिया जाएगा। बाद में मालिक के खर्चे पर एसएमएस लगवाने के बाद ही मशीन छोड़ी जाएगी।

ग्राम प्रधान, सचिव, लेखपाल और कृषि विभाग के कर्मचारी गांवों में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी निभाएंगे।

इस बारे में जानकारी देते हुए उपनिदेशक कृषि अजय यादव ने सोमवार को बताया कि अक्टूबर 2025 से नवंबर 2025 तक खेतों में आग लगने की किसी भी घटना पर सैटेलाइट से 24×7 निगरानी रखी जा रही है। कहीं भी पराली जलाने की सूचना मिलते ही राजस्व और कृषि विभाग की टीम मौके पर पहुंचेगी और जिम्मेदार किसानों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि क्षेत्रफल के आधार पर पर्यावरण क्षति शुल्क इस प्रकार निर्धारित है—2 एकड़ से कम खेत जलाने पर – 2,500 रुपए ,2 से 5 एकड़ क्षेत्र में 5,000 रुपए, 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र में – 15,000 तक जुर्माना वसूल किया जाएगा।

पिछले वर्ष जनपद में 42 ग्राम पंचायतें पराली जलाने के लिए चिन्हित की गई थीं, जिन पर विशेष निगरानी जारी है। उन्होंने जिले के सभी किसानों से अपील की है कि पराली न जलाएं, बल्कि उसका उपयोग पशुओं के बिछावन,चारे,वर्मी कम्पोस्ट व खाद के रूप में कर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करें।

—————

(Udaipur Kiran) / अनिल सिंह