

बलरामपुर, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही और अवैध क्लिनिकों की मनमानी ने एक बार फिर शर्मनाक तस्वीर पेश कर दी है। हालत यह है कि, गांवों में झोलाछाप खुद को डॉक्टर घोषित कर लोगों की जिंदगी से खुला खेल खेल रहे हैं और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। मुरकौल गांव में बुखार से पीड़ित महिला को ऐसे ही झोलाछाप डॉक्टर ने गलत इलाज और ओवरडोज देकर मौत के मुंह में धकेल दिया।
वाड्रफनगर ब्लॉक के मुरकौल गांव की मालती मरावी कई दिनों से बुखार से पीड़ित थी। 25 अक्टूबर को उसका पति उसे गांव में संचालित अवैध श्री सांई बाबा मेडिकल स्टोर ले गया, जहां संचालक मुकेश साहू ने खुद को डॉक्टर बताकर उसका इलाज शुरू कर दिया। दो दिन तक दवाओं से राहत मिलने के बाद महिला की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। इसके बावजूद मेडिकल स्टोर संचालक ने न तो उसे विशेषज्ञ के पास भेजने की सलाह दी और न ही सही जांच कराने की।
परिजनों के अनुसार, मुकेश साहू ने किट से मालती का मलेरिया और टाइफाइड टेस्ट किया, जिनके परिणाम निगेटिव आए। इसके बावजूद उसने न तो बुखार का वास्तविक कारण खोजा, न ही खतरे को देखते हुए रेफर किया। वह लगातार बुखार और दर्द के इंजेक्शन सहित दवाइयों का ओवरडोज देता रहा, जिससे उसकी हालत और गंभीर होती चली गई।
3 नवंबर को मालती को अंबिकापुर के मिशन हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां जांच में सामने आया कि वह डेंगू से पीड़ित है। चिकित्सकों के अनुसार, देरी से अस्पताल लाने के साथ-साथ अवैध क्लिनिक में दिए गए भारी दवा-ओवरडोज ने उसके लंग्स और लिवर को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया था। ऐसआईसीयू में दो दिनों तक चले संघर्ष के बाद महिला की मौत हो गई।
घटना के बाद परिजनों ने गांव में उसका अंतिम संस्कार किया। दो बच्चों की मां रही मालती की मौत से परिवार सदमे में है और उन्होंने मेडिकल स्टोर संचालक पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।
वाड्रफनगर बीएमओ डॉ. हेमंत दीक्षित ने आज सोमवार को बताया कि, फिलहाल मामले में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन प्रकरण की जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि आखिर कब तक ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध क्लिनिक और झोलाछाप डॉक्टर इलाज की आड़ में लोगों की जान से खिलवाड़ करते रहेंगे।
(Udaipur Kiran) / विष्णु पांडेय