Haryana

हिसार : प्रयोगशाला कर्मचारी किसी भी वैज्ञानिक संस्थान की कार्यप्रणाली का आधार : डॉ. मनोज रोज

लैब स्टाफ को संबोधित करते पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. मनोज रोज।

लुवास में लैब स्टाफ के लिए तृतीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

हिसार, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय

के पशु रोग विज्ञान विभाग की ओर से अनुसंधान निदेशालय एवं मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय

के संयुक्त तत्वावधान में लुवास के लैब स्टाफ के लिए ‘पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान

प्रयोगशाला तकनीक एवं प्रक्रियाओं की आवश्यकताएं’ विषय पर तृतीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, सोमवार

से शुरू हुआ। आगामी 19 दिसम्बर तक चलने वाले इस कार्यक्रम पशु चिकित्सा महाविद्यालय

के अधिष्ठाता एवं डीन पीजीएस डॉ. मनोज कुमार रोज ने किया।

शुभारंभ अवसर पर डॉ. मनोज कुमार रोज कहा कि प्रयोगशाला कर्मचारी किसी भी वैज्ञानिक

संस्थान की कार्यप्रणाली का आधार होते हैं। उनकी दक्षता, सटीकता और वैज्ञानिक समझ ही

अनुसंधान, शिक्षण और निदान कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करती है। उन्होंने इस प्रशिक्षण

कार्यक्रम को लुवास की क्षमता-वृद्धि और मानव संसाधन विकास के प्रति प्रतिबद्धता का

महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम प्रयोगशाला कर्मचारियों को आधुनिक

तकनीकों, उपकरणों व प्रयोगशाला सुरक्षा मानकों से अद्यतन रहने में सहायक होते हैं।

कुलपति प्रो. (डॉ.) विनोद कुमार वर्मा के मार्गदर्शन में आयोजित किए जा रहे

इस प्रशिक्षण आयोजन में विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. नरेश जिंदल, एवं निदेशक,

मानव संसाधन प्रबंधन डॉ. राजेश खुराना का विशेष सहयोग रहा। उन्होंने प्रशिक्षण के लिए

आवश्यक प्रशासनिक, शैक्षणिक एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ.

विकास नेहरा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष एवं ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर, पशु रोग

विज्ञान विभाग ने इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. मनोज कुमार रोज का स्वागत

किया। कार्यक्रम का विस्तृत परिचय देते हुए प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. विकास नेहरा बताया

कि यह प्रशिक्षण विशेष रूप से लुवास के विभिन्न विभागों में कार्यरत प्रयोगशाला कर्मचारियों

की कौशल-वृद्धि, दक्षता विकास और वैज्ञानिक समझ को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से तैयार

किया गया है।

प्रतिभागियों को प्रयोगशाला उपकरणों का सुरक्षित संचालन,

नमूना संग्रहण, प्रसंस्करण एवं संरक्षण, हिस्टोपैथोलॉजी, बायोसेफ्टी, सेमेन, दूध एवं

फीड परीक्षण, कल्चर व मीडिया तैयारी, गुणवत्ता सुनिश्चितता और दस्तावेज़ीकरण जैसे विषयों

पर गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में कुल 48 थ्योरी एवं 48 प्रैक्टिकल सत्र

शामिल हैं। अंतिम दिन प्रतिभागियों का मूल्यांकन भी किया जाएगा। उन्होंने विश्वविद्यालय

प्रशासन, निदेशालयों, विभागाध्यक्षों, संसाधन व्यक्तियों और प्रशिक्षण टीम का आभार

व्यक्त करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक प्रशासनिक दक्षता

और अंतर-विभागीय समन्वय को और मजबूती प्रदान करेगा।

उद्घाटन सत्र का संचालन एसोसिएट प्रोफेसर एवं पशु रोग विज्ञान विभाग की सह

सह समन्वयक डॉ. दीपिका ने किया। उन्होंने मुख्य अतिथि, अतिथियों, विभागाध्यक्षों, सेक्शन

इंचार्ज, संसाधन संकाय, विश्विद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. नीलेश सिंधु एवं सभी

प्रतिभागी प्रयोगशाला कर्मचारियों का धन्यवाद किया तथा प्रशिक्षण के उद्देश्यों एवं

अपेक्षित परिणामों की जानकारी दी।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर