

—शहर के पुरानापुल स्थित पुलकोहना ईदगाह में परम्परा निभाने के लिए जुटी बुनकरों की भीड़, बुनकर बिरादराना तंजीम की देखरेख में नमाज सम्पन्न
वाराणसी, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में शुक्रवार को बुनकरों ने मुर्री (हथकरघा) बंद कर अगहनी जुमे की रवायत के अनुसार सामूहिक नमाज पढ़ी। शहर के पुराना पुल स्थित पुलकोहना ईदगाह, चौकाघाट मस्जिद सहित इबादतगाहों, मस्जिदों में अगहनी जुमे की नमाज पढ़ी गई।
अगहनी जुमे की नमाज के बाद मुल्क की तरक्की व भाईचारा बने रहने के लिए दुआख्वानी की गई। बुनकर बिरादराना तंजीम बाइसी, चौदहवीं, बारहवीं के सरदार के नेतृत्व में नमाज पढ़ने के दौरान बुनकरों ने मुल्क में अमनो-आमान, तरक्की व खुशहाली के साथ कारोबार में तरक्की के लिए दुआएं मांगी। हाजी नुरुलहोदा, गुलाम मोहम्मद उर्फ दरोगा, अफरोज अंसारी, पार्षद पति हाजी ओकास अंसारी, हाजी यासीन, पार्षद गुलशन अली आदि ने इस दौरान नमाज पढ़ने में सहयोग दिया। बुनकर बिरादराना तंजीम के अनुसार अगहन महीने के दूसरे जुमे को यह खास नमाज सिर्फ बनारस में ही पढ़ी जाती है।
इस नमाज की 450 साल से भी अधिक पुरानी रवायत चली आ रही है। तंजीम के मौलाना शकील अहमद के अनुसार लगभग 450 साल पहले मुल्क में भयंकर सूखा पड़ा था। भयंकर अकाल और बारिश न होने से चारों तरफ हाहाकार मचा था। खेती न होने के कारण बाजार में मंदी आ गयी और उसकी चपेट में बुनकर भी आ गए। न किसान खेती कर पा रहा था और न ही बुनकरों के कपड़े बिक रहे थे। बुनकरों ने इस हालात को ठीक करने के लिए अल्लाह ताला से दुआ मांगी। अगहन महीने के जुमे के दिन ईदगाह में इकट्ठे होकर बारिश के लिए अल्लाह ताला से दुआएं मांगी। इसके बाद खूब बारिश हुई और मुल्क में फिर से खुशहाली छा गई। तब से यह परंपरा हर साल निभाई जाती है। शहर भर के बुनकर बिरादराना तंजीम के लोग ईदगाह में जुटते हैं। उधर, इस ऐतिहासिक परंपरा को बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी की देखरेख में चौकाघाट मछली मंडी के पास स्थित ईदगाह में भी निभाई गई। बुनकरों ने अपने-अपने कारोबार को बंद कर ईदगाह में इकट्ठा होकर अगहनी जुमे की नमाज अदा की। इसके बाद अपने-अपने कारोबार में बरक्कत व मुल्क की तरक्की के लिए दुआएं मांगी। नमाज के बाद बुनकरों ने चौकाघाट लकड़ी मंडी के समीप गन्ने की खरीदारी की परम्परा भी निभाई।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी