
धमतरी, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । मार्गशीर्ष (अगहन) माह के आगमन के साथ ही चारों ओर शादियों की रौनक बढ़ने लगी है। देवउठनी एकादशी के बाद से ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो चुकी है और अब 21 नवंबर से विवाह पर्व का शुभ सीजन शुरू होने जा रहा है। नगर से लेकर ग्रामीण अंचल तक शादी की तैयारियों की चहल-पहल दिखाई दे रही है। विवाह योग्य युवक-युवतियों के परिवार में स्वजनों ने रिश्ता देखना शुरू कर दिया है।
जानकारी के अनुसार इस वर्ष विवाह के शुभ मुहूर्त 18 नवंबर से प्रारंभ होकर छह दिसंबर तक ही रहेंगे। इसके बाद 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2026 तक खरमास लगने से मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह विराम रहेगा। यानी विवाह समारोहों के लिए इस बार दूल्हा-दुल्हन के परिवारों के पास सीमित अवसर उपलब्ध हैं, जिसके चलते बुकिंग, खरीदारी और समारोहों की तैयारी तेज हो गई है। विप्र विद्वत परिषद के सदस्य पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि मार्गशीर्ष भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना है, साथ ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी माह भगवान शिव-पार्वती और भगवान श्रीराम-मां सीता का विवाह संपन्न हुआ था। इसलिए इस माह में विवाह करना शुभ और कल्याणकारी माना गया है। देवउठनी एकादशी के बाद से ही विवाह बाजारों में रौनक और भी बढ़ गई है। कपड़ों, आभूषणों, सजावट की वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक दुकानों में खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है। इस बार लोग खुदरा खरीदारी कम और थोक बाजार से सामूहिक खरीदी को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।
विवाह के शुभ मुहूर्त
नवंबर माह में 18, 19, 21, 22, 23, 25, 30 इसी तरह से दिसंबर में एक, चार, पांच व छह तारीख को विवाह मुहूर्त है। 18 नवंबर से विवाह का सुयोग्य दौर प्रारंभ होगा। मार्गशीर्ष को शुभ माना जाता है, इसलिए इस अवधि में होने वाले विवाहों को विशेष फलदायक बताया गया है। बाजारों में बढ़ती चहल-पहल और विवाह योग्य युवक-युवतियों के परिवारों की तैयारियां शुरू हो गई है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा