
धमतरी, 13 नवंबर (Udaipur Kiran) ।घर में धन-समृद्धि, सुख और शांति की कामना को लेकर महिलाएं अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार को अगहन बृहस्पति उपवास रख रही हैं। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित होता है। अगहन माह का पहला उपवास छह नवंबर को किया गया था, जबकि दूसरा उपवास आज 13 नवंबर को हुआ। अंतिम यानी पांचवां उपवास चार दिसंबर को रखा जाएगा, जिसके साथ इस व्रत का समापन होगा। अगहन बृहस्पति उपवास पूरी श्रध्दा से रखा जा रहा है।
अंचल की अधिकांश महिलाएं श्रद्धा और परंपरा के साथ अगहन बृहस्पति उपवास रख रही हैं। उपवास करने वाली महिलाएं एक दिन पूर्व ही घर की साफ-सफाई, लिपाई-पोताई कर लेती हैं ताकि व्रत वाले दिन कोई अपवित्र कार्य न करना पड़े। अगहन के गुरुवार को महिलाएं सूपा, टोकनी, झाड़ू को हाथ नहीं लगातीं और किसी प्रकार का लेन-देन नहीं करतीं। रात में घर के आंगन और पूजा स्थल को रंगोली और नए चावल के आटे से बने लक्ष्मी के चरण चिन्हों से सजाया जाता है। तुलसी चौरा पर दीपक जलाकर मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित किया जाता है, ताकि घर में समृद्धि और सौभाग्य का वास बना रहे।
व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह स्नान कर पीले वस्त्र धारण करती हैं और भगवान विष्णु तथा बृहस्पति देव की पूजा-अर्चना करती हैं। पूजा में चना दाल और गुड़ का भोग लगाया जाता है। दिनभर फलाहार रखा जाता है और शाम को मीठे व्यंजन जैसे साबूदाना, शकरकंद, सत्तू, बेसन का हलवा और चीला खाया जाता है। इस दिन केले और मूंग दाल का सेवन वर्जित रहता है तथा केवल सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है। उपवास की समाप्ति सूर्यास्त के बाद आरती और पूजा के साथ की जाती है। इस दिन घर के किसी सदस्य द्वारा बाल या नाखून नहीं काटे जाते। श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए इस व्रत से घर में सुख, समृद्धि और मंगल की वृद्धि होती है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा