
बलरामपुर, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में पुलिस हिरासत में हुई युवक की मौत का मामला चौथे दिन भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। 19 वर्षीय उमेश सिंह की मौत के बाद उसका शव अब तक मॉर्च्युरी में रखा हुआ है, क्योंकि परिजन लगातार दूसरे पोस्टमॉर्टम और एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग पर अड़े हैं।
बुधवार को सीतापुर एसडीएम ने मृतक के परिजनों से कई बार बातचीत की, मगर कोई नतीजा नहीं निकला। प्रशासन की समझाइश के बावजूद परिवार अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं हुआ। अब गुरुवार को शव का दोबारा पोस्टमॉर्टम कराए जाने की संभावना है। शव की सुरक्षा के लिए राजपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सीएएफ के जवानों की तैनाती की गई है।
परिजनों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने अंबिकापुर और सीतापुर के डॉक्टरों की टीम से संयुक्त रूप से पोस्टमॉर्टम कराने की मांग की है। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उमेश सिंह को हिरासत में बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौत हुई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए बुधवार को पूर्व मंत्री अमरजीत भगत मृतक के परिवार के साथ सरगुजा आईजी दीपक कुमार झा से मिले और निष्पक्ष जांच की मांग की। इसके बाद आईजी ने जांच में शामिल टीआई समेत तीन पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया है। बलरामपुर पुलिस का कहना है कि मृतक सिकल सेल रोग से पीड़ित था और पहले भी कई बार अस्पताल में भर्ती हो चुका था। पुलिस के अनुसार, इसी बीमारी के चलते उसकी हालत बिगड़ी और मौत हुई।
यह मामला 30 से 31 अक्टूबर की दरम्यानी रात बलरामपुर के धनंजय ज्वेलर्स से 50 लाख रुपये से अधिक के जेवर और नकदी चोरी से जुड़ा है। इसी चोरी के आरोप में उमेश सिंह समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। बतौली थाना क्षेत्र के नकना गांव निवासी उमेश की रविवार को हिरासत में मौत हो गई थी। परिवार का दावा है कि पुलिस की पिटाई से उसकी जान गई, जबकि पुलिस इसे बीमारी से हुई प्राकृतिक मौत बता रही है।
(Udaipur Kiran) / विष्णु पांडेय