कीव. 11 नवम्बर (Udaipur Kiran) । यूक्रेन के भ्रष्टाचार-निरोधी अधिकारियों ने मंगलवार को सात व्यक्तियों पर एक 100 मिलियन डॉलर के कथित कमीशन घोटाले के आरोप में मामला दर्ज किया है, जिसमें वरिष्ठ ऊर्जा अधिकारियों की संलिप्तता बताई जा रही है। इस खुलासे ने देश में जनाक्रोश भड़का दिया है और यूक्रेन की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
यूक्रेन इस समय यूरोपीय संघ (ईयू) की सदस्यता पाने की कोशिश में है और पश्चिमी देशों से आर्थिक सहायता की उम्मीद कर रहा है। ऐसे में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का दबाव सरकार पर और बढ़ गया है, खासकर तब जब देश रूस के हमलों के बीच ऊर्जा संकट से जूझ रहा है और सर्दियों से पहले ही अधिकांश इलाकों में लंबे बिजली कटौती के दौर चल रहे हैं।
यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (NABU) ने अपने बयान में बताया कि इस मामले में पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है और दो अन्य की पहचान की गई है। ये लोग कथित रूप से राज्य संचालित कंपनियों, विशेष रूप से परमाणु ऊर्जा एजेंसी एनरगोटॉम (Energoatom) में ठेकों पर नियंत्रण पाने की साजिश में शामिल थे।
मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि NABU द्वारा “मुख्य आयोजक” के रूप में पहचाने गए व्यक्ति का नाम तिमूर मिंडिच है, जो राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के पूर्व व्यावसायिक सहयोगी रह चुके हैं। मिंडिच ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
आरोपियों में ऊर्जा मंत्री के पूर्व सलाहकार, एनरगोटॉम के सुरक्षा प्रमुख, और चार “बैक-ऑफिस” कर्मचारी शामिल हैं। NABU ने बाद में एक पूर्व उप प्रधानमंत्री को भी संदिग्धों की सूची में जोड़ा है।
न्याय मंत्री जर्मन गालुशचेंको, जो पहले ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं, भी जांच के दायरे में हैं। मंत्रालय ने पुष्टि की कि उनके खिलाफ जांच की कार्रवाई की गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह मामला NABU की जांच से जुड़ा है या नहीं।
NABU ने बताया कि यह जांच 15 महीने से चल रही थी, जिसके दौरान देशभर में 70 से अधिक छापेमारी की गई। एजेंसी ने कहा कि यह कार्रवाई उस वक्त की जा रही है जब यूक्रेन फिर से एक कठोर सर्दी और संभावित ऊर्जा संकट की तैयारी कर रहा है।
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय