
रांची, 11 नवंबर (Udaipur Kiran) । छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट (सीएनटी) के 117 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में झारखंड उलगुलान संघ ने मंगलवार को राजभवन के समक्ष धरना दिया।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली आदिवासियों की रैयती जमीन को सादा पट्टा या दान पत्र बनाकर अवैध रूप से बेचा जा रहा है, जिसमें रजिस्ट्री कार्यालय और अंचल कर्मियों की मिलीभगत शामिल है।
गीताश्री उरांव ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्र विनियम के बावजूद आदिवासियों की रैयती जमीन का गैर–आदिवासियों या निजी–सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को देना संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि आदिवासी भूमि पर परफॉर्मेंस ऑडिट नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के निर्देश पर वर्ष 2023 में शुरू हुआ था, जिसमें रांची, खूंटी, गुमला, गढ़वा और दुमका शामिल थे। मई 2025 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में इस ऑडिट को रोक दिया गया। गीताश्री ने कहा कि शासन का यह रवैया आदिवासियों के जल–जंगल–जमीन की रक्षा के प्रति गंभीरता की कमी और अन्याय को दर्शाता है।
वहीं एलेस्टर बोदरा ने कहा कि सरना, मसना, हड़गड़ी, देवीगुड़ी जैसी आदिवासी सांस्कृतिक भूमि को भूमि बैंक में शामिल कर दिया गया है, जो चिंताजनक है।
मौके पर बेनेदिक नौरंगी, जॉन जुरसेन गुड़िया, मसीह दास गुड़िया, सुबोध पूर्ति, सनिका भेंगरा सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar