HimachalPradesh

शिमला में 3 नवम्बर से निजी बस संचालकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल

शिमला, 01 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजधानी शिमला में निजी बस चालकों और परिचालकों ने एक बार फिर जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अपनी लंबित मांगों के समाधान न होने से नाराज़ शिमला सिटी बस चालक-परिचालक यूनियन ने सोमवार, 3 नवम्बर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। यूनियन ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक शिमला शहर में निजी बसें नहीं चलेंगी। यूनियन पदाधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को हुई बैठक में यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया।

उन्होंने कहा कि प्रशासन को पहले ही नोटिस दिया गया था, लेकिन कई बार याद दिलाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब मजबूर होकर यूनियन को हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ रहा है। चालक-परिचालक यूनियन के अनुसार, शहर में लगातार बढ़ते ट्रैफिक जाम के कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका कहना है कि शहर के बाहरी क्षेत्रों, यानी लगभग 40 किलोमीटर के दायरे से आने वाली बसों को पुराने बस स्टैंड की बजाए सीधे आईएसबीटी भेजा जाए, ताकि शहर के भीतर जाम की स्थिति कम हो। लेकिन इस मांग पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

यूनियन ने यह भी आरोप लगाया कि एचआरटीसी की स्कूल ड्यूटी पर चलने वाली बसें रास्ते में सवारियां उठाती हैं, जिससे निजी बस चालकों और एचआरटीसी कर्मचारियों के बीच आए दिन झगड़े की स्थिति बनती है। इसके अलावा, डीजल भरवाने या चार्जिंग के लिए वर्कशॉप जाती एचआरटीसी बसें भी रास्ते में सवारियां बिठा लेती हैं, जिससे निजी ऑपरेटरों का आर्थिक नुकसान होता है।

निजी बस यूनियन ने पुराने बस स्टैंड में चालक-परिचालकों के लिए रेस्टरूम की भी मांग की थी, जो अभी तक पूरी नहीं हुई है। यूनियन का कहना है कि 15 दिन पहले प्रशासन के साथ उनकी बैठक हुई थी, जिसमें आश्वासन दिया गया था कि समस्याओं का समाधान किया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं किया गया।

इधर, एचआरटीसी ड्राइवर यूनियन के राज्य प्रवक्ता पदम सिंह ठाकुर ने कहा कि शहर में जाम लगने की जिम्मेदारी एचआरटीसी पर नहीं डाली जा सकती। उन्होंने कहा कि जाम की असली वजह निजी बसें हैं, और सीसीटीवी फुटेज से यह साफ पता चल सकता है कि कौन बसें गलत तरीके से पार्क करती हैं या सवारियां उठाती हैं। उन्होंने कहा कि हड़ताल करना या न करना निजी बस यूनियन का अधिकार है, लेकिन इससे आम जनता को दिक्कत जरूर होगी। अब देखना यह होगा कि 3 नवम्बर से प्रस्तावित इस हड़ताल को रोकने के लिए जिला प्रशासन कोई पहल करता है या नहीं, क्योंकि अगर यह हड़ताल शुरू होती है तो राजधानी शिमला में आम यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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