– आठ साल से लापता महंत की खोज में पुलिस रही नाकाम
नैनीताल, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, हरिद्वार के एक महंत
के आठ साल से लापता होने से जु़ड़े मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। कोर्ट ने जांच एजेंसियों की ओर से कोई निष्कर्ष न निकल पाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए यह निर्देश दिया। न्यायमूर्ति
पंकज पुरोहित की एकल पीठ ने यह आदेश पारित किया। महंत सुकदेव मुनि ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। सुनवाई के बाद 30 जुलाई को निर्णय सुरक्षित रख लिया गया था जो बुधवार को जारी किया गया। मामले के अनुसार 16 सितंबर, 2017 को अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन राजघाट कनखल के महंत एक्सप्रेस ट्रेन से हरिद्वार से मुंबई के लिए रवाना हुए।ट्रेन जब भोपाल रेलवे स्टेशन पहुंची, तो उनका एक शिष्य ने भोजन लेकर उनकी सीट पर गया, लेकिन महंत वहां नहीं मिले। कई प्रयासों के बाद भी उनका पता नहीं लगने पर कनखल में प्राथमिकी दर्ज की गई। आईओ ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट फाइल की, लेकिन ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने इसे खारिज कर दोबारा जांच का निर्देश दिया। आईओ ने प्रोग्रेस रिपोर्ट फाइल कर दी जिस पर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने मामला निस्तारित कर दिया।याची ने हरिद्वार के चौथे एडिशनल सेशंस जज के कोर्ट में रिवीजन फाइल की जिस कोर्ट ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर मामला को वापस रिमांड कर दिया। कोर्ट की ओर से और प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगने के बाद आईओ ने फिर न प्रोग्रेस रिपोर्ट फाइल की और न ही कोई जांच शुरू की। सात साल के बाद भी कोई निर्णायक रिपोर्ट न आने पर याची ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता के अनुसार, घटना को आठ साल बीत जाने के बाद भी जांच एजेंसियां उनका पता नहीं लगा पाई हैं।
कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात पर चिंता व्यक्त की कि देश का एक नागरिक पिछले आठ साल से लापता है और जांच एजेंसियां उसका ठिकाने का पता नहीं लगा पाई हैं। राज्य लगातार जांच को एक जांच अधिकारी से दूसरे को स्थानांतरित कर रहा है, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। याचिकाकर्ता की ओर से जांच सीबीआई को देने की मांग की जिससे संविधान के तहत संरक्षित अधिकारों की रक्षा हो सके। कोर्ट ने कहा कि वह इस बात से अत्यंत विचलित है कि जांच एजेंसियां महंत का पता लगाने में सक्षम नहीं रही हैं। कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश देते हुए निर्देश दिया कि राज्य अब तक किए गए सभी जांच रिकॉर्ड सीबीआई को सौंप दिए जाएं।इनसेट
सीबीआई ने किया जांच न सौंपने का आरोप, कोर्ट ने नहीं मानी दलील
मामले में सीबीआई की ओर से मामला सीबीआई को सौंपे जाने का विरोध करते हुए कहा सरकार गंभीरता से जांच करवा रही है और सीबीआई पर पहले से ही कई मामलों का बोझ है और वर्तमान प्रकृति के मामलों को उसे स्थानांतरित करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन कोर्ट ने तर्कों को न मानते हुए सीबीआई जांच के आदेश जारी किए।
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सामने आई जांच एजेंसी की गंभीर लापरवाही
मामले में जांचकर्ता की गंभीर लापरवाही बार बार सामने आई।
याची ने आरोप लगाया कि जांच बहुत लापरवाही से की गई , जो इस बात से साफ है कि महंत का मोबाइल फोन रवि कुमार पुत्र भोले राम से बरामद किया गया था, लेकिन इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर ने उससे महंत के बारे में पूछताछ नहीं की। राज्य बस बार-बार जांच एक से दूसरे आईओ को ट्रांसफर करता रहा, लेकिन आठ वर्ष बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका।
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(Udaipur Kiran) / लता
