
श्रीनगर, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने आज ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज (आरडी एंड पीआर) विभाग की एक व्यापक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी), स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी) और प्लेसमेंट-लिंक्ड कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम हिमायत (डीडीयू-जीकेवाई) जैसी प्रमुख प्रमुख योजनाओं की प्रगति का आकलन किया गया।
शुरुआत में मुख्य सचिव ने विभाग को सभी लंबित पीएमएवाई-जी घरों को समय पर पूरा करने और हिमायत के तहत नई प्लेसमेंट योजनाओं की मंजूरी और रोलआउट में तेजी लाने के लिए एक मिशन-मोड दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया। उन्होंने ग्रामीण विकास हस्तक्षेपों के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए निरंतर निगरानी, डेटा-आधारित प्रगति ट्रैकिंग और निर्धारित समयसीमा का पालन करने पर जोर दिया।
आरडीडी सचिव एजाज असद ने बैठक में बताया कि जम्मू और कश्मीर ने पीएमएवाई-जी के तहत 95 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया है। कुल स्वीकृत लक्ष्य 3,34,718 घरों में से 3,18,542 पूरे हो चुके हैं जबकि 16,176 निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। इन लंबित घरों में से 6,933 का निर्माण कार्य प्रगति पर है, 1,240 प्लिंथ स्तर पर और 5,693 लिंटेल/रूफ कास्ट स्तर पर हैं और इन्हें 31 दिसंबर, 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इनके निर्माण पर 35.08 करोड़ रुपये का व्यय निर्धारित किया गया है।
आगामी पीएमएवाई 2.0 चरण के तहत नए लाभार्थियों की पहचान के लिए 5,02,101 घरेलू सर्वेक्षण किए गए हैं। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों के लिए एक विशेष परियोजना के तहत 5,061 घरों को मंजूरी दी है। इस विशेष परियोजना के लिए पंजीकरण 31 अक्टूबर, 2025 तक पूरा होने वाला है। मुख्य सचिव ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के अंतर्गत ग्रामीण स्वच्छता में विभाग की उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की और कहा कि केंद्र शासित प्रदेश सभी गाँवों में 100 प्रतिशत ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा प्राप्त करने की राह पर है।
ग्रामीण स्वच्छता महानिदेशक अनु मल्होत्रा ने बताया कि 6,216 गाँवों में से 6,115 गाँवों को पहले ही ओडीएफ प्लस मॉडल घोषित किया जा चुका है – 98.38 प्रतिशत संतृप्ति प्राप्त कर ली गई है। शेष 69 गाँवों के नवंबर 2025 के मध्य तक ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा प्राप्त करने की उम्मीद है। सत्यापन भी तेजी से आगे बढ़ रहा है, 5,409 गाँवों ने सत्यापन का पहला दौर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। सभी ओडीएफ प्लस मॉडल गांवों का सत्यापन दिसंबर 2025 तक पूरा करने की योजना है।
बैठक में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) के लिए संचालन एवं रखरखाव (ओएंडएम) नीति और मल-अवसाद प्रबंधन (एफएसएम) नीति सहित प्रमुख नीतियों के निर्माण की प्रगति की भी समीक्षा की गई जो ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अपशिष्ट निपटान संचालकों को विनियमित और लाइसेंस प्रदान करेगी।
वार्षिक कार्यान्वयन योजना (एआईपी) 2025-26 के तहत विभाग ने ग्रामीण स्वच्छता बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुए 738 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) और 1,905 सामुदायिक सोख गड्ढों के पूरा होने की सूचना दी। हिमायत कार्यक्रम के तहत प्रगति की समीक्षा करते हुए हिमायत के प्रबंध निदेशक रजनीश गुप्ता ने बताया कि अब तक 35,682 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया जा चुका है जिनमें से 81,797 प्रशिक्षुओं के स्वीकृत लक्ष्य के मुकाबले 14,734 को विभिन्न क्षेत्रों में नियुक्त किया गया है। इस योजना के तहत संचयी व्यय 318.80 करोड़ रुपये है।
संशोधित डीडीयू-जीकेवाई 2.0 के अंतर्गत इस योजना के लिए 37.64 करोड़ रुपये का स्वीकृत परिव्यय है। हिमायत मिशन प्रबंधन इकाई (एचएमएमयू) को संभावित परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों (पीआईए) से 68 परियोजना प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और परियोजना अनुमोदन को अंतिम रूप देने के लिए नवंबर 2025 के पहले सप्ताह में एक प्री-पीएसी बैठक आयोजित की जाएगी।
विभाग की आउटरीच पहलों पर प्रकाश डालते हुए मुख्य सचिव को बताया गया कि सेवा पर्व प्लेसमेंट अभियान के दौरान प्रशिक्षित उम्मीदवारों को 125 से अधिक ऑफर लेटर जारी किए गए। प्लेसमेंट के बाद सहायता और मार्गदर्शन बढ़ाने के लिए आईआईटी जम्मू के सहयोग से एक परामर्श-सह-कॉल सेंटर भी स्थापित किया गया है।
समीक्षा का समापन करते हुए मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने सभी विभागाध्यक्षों को सख्त समय-सीमा बनाए रखने, वास्तविक समय पर निगरानी सुनिश्चित करने और सभी प्रमुख कार्यक्रमों में प्रगति में तेजी लाने के लिए जवाबदेही-संचालित कार्यान्वयन तंत्र अपनाने का निर्देश दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन पहलों का प्राथमिक लक्ष्य ग्रामीण नागरिकों को ठोस लाभ पहुँचाना और कुशल, पारदर्शी और जन-केंद्रित विकास हस्तक्षेपों के माध्यम से ज़मीनी स्तर पर शासन को मज़बूत करना है।
(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता