
नवसृजन कार्यशाला शुरू, परंपरागत शिल्पकला को आधुनिक तकनीक से जोडऩे की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
जोधपुर, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जोधपुर सिटी नॉलेज एंड इनोवेशन फाउंडेशन (जेसीकेआईएफ), आईआईटी जोधपुर, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) और फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट (एफडीडीआई) के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय डिज़ाइन इनोवेशन कार्यशाला नवसृजन का शुभारंभ आईआईटी जोधपुर परिसर स्थित जोधपुर क्लब में हुआ।
कार्यक्रम में रूमादेवी फाउंडेशन की निदेशक डॉ. रूमादेवी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। इस अवसर पर आईआईटी निदेशक प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल, एफडीडीआई जोधपुर के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार, आईआईटी जोधपुर के निदेशक सलाहकार प्रो. संपतराज वडेहरा, डीन (प्रशासन) प्रो. श्रीप्रकाश तिवारी, एवं जेसीकेआईएफ की प्रभारी डॉ. आकांक्षा चौधरी उपस्थित रहे। साथ ही राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए सौ से अधिक कारीगरों (50 वस्त्र एवं 50 चमड़ा शिल्प क्षेत्र से) ने इसमें भाग लिया।
केवल डिज़ाइन की बात नहीं करती :
उद्घाटन संबोधन में प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल ने कहा कि कारीगर इस पहल का हृदय हैं। ‘नवसृजन’ जैसी कार्यशालाएं केवल डिज़ाइन की बात नहीं करतीं, बल्कि यह सम्मान, आत्मनिर्भरता और रचनात्मकता की बात करती हैं। पारंपरिक कौशल को आधुनिक तकनीक से जोडक़र हम कारीगरों को वह ज्ञान और उपकरण देना चाहते हैं, जिससे वे अपनी उत्पादकता बढ़ा सकें, गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकें और बाजार में अपनी पहचान बना सकें।
कारीगरों को तकनीक आधारित डिज़ाइन नवाचार से जोड़ें :
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय, भारत सरकार से डॉ. विशाल चौधरी ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि कारीगरों को तकनीक आधारित डिज़ाइन नवाचार से सशक्त करना भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। ऐसी पहलें हमारे पारंपरिक शिल्प को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएंगी। डॉ. रूमादेवी ने कहा कि ‘नवसृजन’ जैसी कार्यशालाएँ कारीगरों को परंपरा से जुडक़र नवाचार करने का अवसर देती हैं।
दो महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर
इस अवसर पर जेसीकेआईएफ ने दो महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किए। एक रूमादेवी फाउंडेशन के साथ और दूसरा एफडीडीआई जोधपुर के साथ। ये समझौते राजस्थान के हस्तशिल्प क्षेत्र में कारीगर विकास, डिज़ाइन नवाचार और सतत प्रगति के लिए दीर्घकालिक सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेंगे। कार्यक्रम के अंत में यह संदेश स्पष्ट रहा कि आईआईटी जोधपुर और जेसीकेआईएफ भारत की पारंपरिक शिल्पकला को सशक्त बनाने, अर्थपूर्ण उद्यमिता को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में तकनीक, रचनात्मकता और परंपरा का समन्वय कर रहे हैं।
(Udaipur Kiran) / सतीश
