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संजौली मस्जिद मामला: जिला अदालत ने एमसी कोर्ट का आदेश रखा बरकरार, वक्फ बोर्ड व मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज

शिमला, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बहुचर्चित संजौली मस्जिद मामले में जिला अदालत ने नगर निगम शिमला की अदालत (एमसी कोर्ट) के फैसले को बरकरार रखते हुए मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराने के आदेश दिए हैं। अदालत ने वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए नगर निगम आयुक्त की अदालत के निर्णय को सही ठहराया है। जिला अदालत में यह मामला एमसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील के रूप में लाया गया था, लेकिन वक्फ बोर्ड मस्जिद की जमीन व निर्माण से संबंधित कोई पुख्ता दस्तावेज पेश नहीं कर पाया।

इस मामले की सुनवाई आज अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-2 यजुवेंद्र सिंह की अदालत में हुई। अदालत ने बहस पूरी होने के बाद आज अपना फैसला सुनाते हुए वक्फ बोर्ड की अपील को खारिज कर दिया।

गौरतलब है कि नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री की अदालत ने 3 मई 2025 को मस्जिद की निचली दो मंजिलों को भी अवैध करार देते हुए उन्हें तोड़ने के आदेश दिए थे। इससे पहले 5 अक्तूबर 2024 को एमसी कोर्ट ने मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को गिराने का फैसला सुनाया था, जिनमें से दो मंजिलें मस्जिद कमेटी ने खुद हटा दी थीं। निगम अदालत के इन दोनों फैसलों को वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने जिला अदालत में चुनौती दी थी, जिस पर अब अंतिम निर्णय आ गया है।

संजौली मस्जिद विवाद की शुरुआत अगस्त 2024 में मल्याणा क्षेत्र में एक झगड़े के बाद हुई थी। स्थानीय दुकानदार पर मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों द्वारा हमले के बाद मामला तूल पकड़ गया था। बताया गया कि आरोपी युवक घटना के बाद संजौली मस्जिद में छिप गए थे। इस घटना से गुस्साए स्थानीय लोगों ने मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया। बाद में 11 सितंबर 2024 को हिंदू संगठनों ने संजौली में बड़ा प्रदर्शन किया, जिसके चलते क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।

स्थिति बिगड़ने पर डीसी और एसपी शिमला ने रातभर इलाके का दौरा किया और हालात पर नियंत्रण पाने के लिए बल प्रयोग के साथ वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया गया। मामला विधानसभा के मानसून सत्र तक पहुंचा, जहां इस पर तीखी बहस हुई। मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी विधानसभा में इस मसले को अवैध प्रवासियों से जोड़ते हुए गंभीर चिंता जताई थी।

विवाद बढ़ने के बाद 12 सितंबर 2024 को संजौली मस्जिद कमेटी ने नगर निगम आयुक्त के समक्ष अवैध हिस्से को स्वयं हटाने की पेशकश की थी। इसके बाद 5 अक्टूबर 2024 को एमसी कोर्ट ने मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को गिराने का आदेश दिया। बाद में उच्च न्यायालय ने भी निगम आयुक्त की अदालत को निश्चित समय में निर्णय लेने के निर्देश दिए थे, जिसके तहत मई 2025 में निचली दो मंजिलों को भी अवैध करार दिया गया।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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