पटना, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) ।
बिहार विधानसभा के प्रथम चरण का मतदान आगामी 06 नवम्बर को होगा। पटना प्रमंडल में पटना सहित नालंदा, भोजपुर, बक्सर, भभुआ और रोहतास जिलों के विधानसभा क्षेत्र आते हैं। राज्य की 43 (17.61 प्रतिशत) विधानसभा सीटें इस प्रमंडल में हैं।
गत दो चुनावों से मगध क्षेत्र के पटना और नालंदा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) तो शाहाबाद के चारों जिलों में महागठबंधन का दबदबा है। नालंदा में जदयू जिसके साथ रहा, पलड़ा उसी का भारी रहा। वर्ष 2020 में इन 43 सीटों में से 13 पर राजग गठबंधन और 29 पर महागठबंधन का कब्जा रहा था, जबकि एक सीट अन्य के खाते में गई थी1
इस बार लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा होने का लाभ कुछ सीटों पर मिल सकता है। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और भोजपुरी गायक सह अभिनेता पवन सिंह का मिलन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को कितना लाभ पहुंचाता है, यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन कार्यकर्ता इसका स्वागत कर रहे हैं।
बक्सर में 2015 से पहले वाली स्थिति प्राप्त करने के लिए भाजपा हर जुगत लगा रही है। गत वर्ष लोकसभा चुनाव में मैदान में निर्दलीय उतरे पूर्व आइपीएस आनंद मिश्रा जनसुराज से भाजपा में आ गए हैं। बक्सर में गत दोनों विधानसभा चुनाव में चारों सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार जीते थें।
कैमूर जिले की चारों सीटों पर 2015 में कमल खिला था, लेकिन 2020 में चारों सीट हार गए। तीन पर राजद तो एक पर बसपा के जमा खां जीते। जमा खां बाद में जदयू से जुड़ गए। वह नीतीश कैबिनेट में मंत्री भी हैं।
रोहतास जिले में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को महागठबंधन की मजबूत काट ढूंढनी होगी। गत चुनाव में सातों सीटों पर महागबंधन के उम्मीदवार जीते थे। भोजपुर की बात करें तो गत चुनाव में जिले की सात सीटों में केवल दो ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पाले में आईं थी। वर्ष 2015 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का यहां खाता भी नहीं खुला था। गत दो चुनावों का परिदृश्य यह रहा है कि शाहाबाद क्षेत्र में महागठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कोर वोट में सेंधमारी करने में सफल रहा है।
अनंत सिंह और सिद्धार्थ के प्रभाव का भी होगा आकलन
वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय ने बातचीत में कहा कि मोकामा से गत उपचुनाव में बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी राजद के सिंबल पर जीती थीं। इस बार अनंत सिंह स्वयं ही जदयू के टिकट पर मैदान में हैं। बिक्रम से कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ सौरभ भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। यह चुनाव इन दोनों नेताओं का व्यक्तिगत प्रभाव को भी 2025 के चुनाव में तय करेगा। दोनों ही भूमिहार जाति से आते हैं। इनकी अपने क्षेत्र में काफी पकड़ हैं। जहां अनंत सिंह बीते 20 वर्ष से मोकामा से एक बार भी नहीं हारे हैं, वहीं सिद्धार्थ सौरभ भी तीसरी बार विधानसभा पहुंचकर अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाह रहे हैं।
अरुण पाण्डेय ने कहा कि पटना की चारों शहरी विधानसभा सीटें कई बार से भाजपा के हिस्से में है। इस बार भी इसमें संदेह नहीं कि यह चारों सीट भाजपा के खाते में नहीं जायेगी। हालांकि कायस्थ जाति की कुम्हरार सीट को लेकर थोड़ी नाराजगी है, लेकिन मतदान से पहले वह दूर हो जायेगी। उन्होंने कहा कि 2020 के मुकाबले पटना जिले में भाजपा का प्रदर्शन ज्यादा बेहतर होगा। बता दे कि 2015 में भाजपा ने जहां पटना जिले की आधी सात सीटें प्राप्त की थी तो गत चुनाव में पांच पर सिमट गई। जदयू का खाता भी नहीं खुला। गत चुनाव में 14 में से नौ सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार जीते। फुलवारीशरीफ से विधायक रहे श्याम रजक राजद छोड़कर जदयू में आ गए हैं। यह सीट अभी भाकपा माले के पास है। यहां रोचक चुनाव की संभावना जताई जा रही है।
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी ने बातचीत में कहा कि नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला होने के साथ-साथ जदयू का गढ़ है। यहां की सात में से पांच सीटों पर दोनों चुनाव में जदयू के उम्मीदवार जीते हैं। भाजपा और राजद दोनों ने चुनाव में एक-एक सीट क्रमश: बिहारशरीफ व इस्लामपुर अपने नाम की है। गत चुनाव में हिलसा से राजद उम्मीदवार शक्ति सिंह यादव केवल 12 वोट से हारे थे। नालंदा की सात सीटों को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन आश्वस्त है। यहां राजग गठबंधन को हराना नामुकिन है ,क्योंकि यहां क्षेत्रवाद के साथ नीतीश कुमार का काम भी लोगों को बहुत प्रभावित करता है।
मगध क्षेत्र की सीटें
पटना जिला : मोकामा, बाढ़, बख्तियारपुर, फतुहा, पटना साहिब, कुम्हरार, बांकीपुर, दीघा, फुलवारीशरीफ (अजा), दानापुर, मनेर, बिक्रम, पालीगंज और मसौढ़ी (अजा)।
नालंदा जिला : अस्थावां, बिहारशरीफ, नालंदा, राजगीर (अजा), इस्लामपुर, हिलसा व हरनौत।
शाहाबाद क्षेत्र की सीटें
भोजपुर : संदेश, बड़हरा, आरा, अगिआंव (अजा), तरारी, जगदीशपुर और शाहपुर।
बक्सर : ब्रह्मपुर, बक्सर, डुमरांव व राजपुर (अजा)।
भभुआ : रामगढ़, मोहनियां (अजा), भभुआ व चैनपुर।
रोहतास : सासाराम (अजा), चेनारी (अजा), करगहर, नोखा, काराकाट व डेहरी।
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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी