
चित्तौड़गढ़, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जिले के प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में भक्तों की ओर से चढ़ाए जाने वाली राशि को एक बार फिर से 16 गांवों के बाहर खर्च करने की मांग उठी है। चित्तौड़गढ़ जिले के विभिन्न गोशाला संचालकों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। इसमें गोशालाओं के लिए अनुदान देने की मांग की गई है। वहीं जो मंदिर का विधान है उसके अनुसार सांवलियाजी मंदिर एवं इससे जुड़े 16 गांवों के विकास, यात्री सुविधाएं बढ़ाने में ही राशि खर्च करने का प्रावधान रहा है।
चित्तौड़गढ़ जिले में संचालित गोशाला संचालकों ने श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल से गोशालाओं को अनुदान उपलब्ध कराने की मांग को लेकर बुधवार को जिला कलक्टर आलोक रंजन को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम ज्ञापन सौंपा। इसे लेकर ऋषि मंगरी गोशाला के अध्यक्ष अनिल ईनानी ने बताया कि जिले में वर्तमान में 43 अनुदानित गोशालाएं, 12 अनुदान प्रक्रिया में शामिल तथा 15 गैर-अनुदानित गोशालाएं संचालित हो रही हैं। सभी संचालक मंदिर मंडल ट्रस्ट से आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग कर रहे हैं, जिससे गोशालाओं के संचालन में आ रही आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सके। उन्होंने बताया कि मेवाड़ के प्रसिद्ध कृष्णधाम श्री सांवलिया सेठ मंदिर मंडल को करोड़ों की भेंट प्राप्त होती है, ऐसे में गो-सेवा के लिए भी ट्रस्ट की ओर से उचित अनुदान दिया जाना आवश्यक है। इसी क्रम में लाल जी का खेड़ा गोशाला संचालक श्रवणसिंह राव ने कहा कि सरकार की ओर से दिया जाने वाला वर्तमान अनुदान गोशालाओं की जरूरतों के मुकाबले बेहद कम है। सड़कों पर आवारा घूम रहे गोवंश को शेल्टर में लाने और उनके भरण-पोषण के लिए अधिक बजट की जरूरत होती है। इसी कारण साधु-संत और सभी गोशाला संचालक मिल कर यह मांग उठा रहे हैं। ज्ञापन देने के दौरान कई संत, हिन्दू संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों के अलावा भाजपा नेता भी मौजूद रहे।
उद्योग नहीं देते फंड, उनसे भी की मांग
इधर, जानकारी में सामने आया कि जिले में करीब एक दर्जन बड़े उद्योग हैं, जो सीएसआर पर बड़ी रकम खर्च करते हैं लेकिन गोशालाओं के लिए अनुदान नहीं देते। इस पर किए सवाल को लेकर राव ने कहा कि जिले में संचालित उद्योगों के सीएसआर फंड से भी गोशालाओं के लिए बजट आवंटन कराने का प्रयास किया जाएगा।
पहले भी चढ़ावा का पैसा बाहर ले जाने का किया था प्रयास
इधर, जानकारी में सामने आया कि वैश्विक आस्था के केंद्र श्री सांवलियाजी मंदिर के श्रद्धालू नकद चढ़ावा भंडार में चढ़ाते हैं। इसी राशि से मंदिर निर्माण, विस्तार, रख रखाव, कर्मचारियों का वेतन सहित मंदिर से जुड़े 16 गांवों के विकास का कार्य किया जाता हैं। वहीं गोशालाओं का विषय सरकार का है। इसी तरह पहले भी मातृकुंडिया में पैनोरमा निर्माण सहित अन्य स्थानों पर सांवलियाजी मंदिर की चढ़ावा राशि को ले जाने का प्रयास किया था। इस निर्णय का भी पहले विरोध हुआ था।
कांग्रेस शासन में भी हुआ था प्रयास
कांग्रेस शासन में देवस्थान मंत्री रहते शकुंतला रावत ने भी अपने क्षेत्र की गोशाला में राशि ले जाने का प्रयास किया था। लेकिन विरोध के चलते चढ़ावे की राशि नहीं ले जा पाए थे। इसे लेकर सांवलियाजी निवासी कैलाश डाड ने बताया कि भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों ही शासन में राशि बाहर ले जाने का प्रयास हुआ है। लेकिन मंदिर के विधान में राशि बाहर ले जाने का प्रावधान नहीं है। यहां यात्री सुविधाओं का विस्तार, सांवलियाजी मंदिर और गांव तथा 16 गांवों में ही राशि खर्च का प्रावधान है। पूर्व में मातृकुंडिया के पैनोरमा निर्माण के लिए 8 करोड़ की स्वीकृति करवा ली थी, जिसके विरोध में न्यायालय में शरण ली थी। इसके अलावा अन्य धार्मिक स्थलों पर भी राशि खर्च करने का प्रयास किया, जिसका भी विरोध किया था।
इस संबंध में अतिरिक्त जिला कलक्टर एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री सांवलिया मंदिर मंडल प्रभा गौतम ने बताया कि मंदिर क्षेत्र के जो 16 गांवों में प्रस्ताव लेकर विभिन्न कार्य करवा सकते हैं। इसका एक्ट में प्रावधान है। लेकिन बाहर कोई डिमांड आती है तो सरकार और देवस्थान विभाग को भेज सकते हैं। वहां से स्वीकृति आने के बाद ही कोई कार्य हो सकता है।
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(Udaipur Kiran) / अखिल