
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि देशभर में न्यायिक अफसरों की वरिष्ठता तय करने के मानदंडों में एकरूपता होनी चाहिए। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच ने न्यायिक अधिकारियों के वरिष्ठता के निर्धारण के लिए एक समान मानदंड तैयार करने के मामले पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा कि वो किसी भी तरीके से उच्च न्यायालय की शक्तियों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है जो जजों के नामों की सिफारिश करते हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अधिकांश राज्यों में सिविल जज के रुप में भर्ती न्यायिक अधिकारी अक्सर प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज के पद तक नहीं पहुंच पाते हैं, उनके लिए उच्च न्यायालय का जज बनना तो दूर की बात है। इस वजह से कई प्रतिभाशाली युवा न्यायिक सेवा में सिविल जज के स्तर पर शामिल नहीं होना चाहते हैं।
सुनवाई के दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से पेश वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को एक समान वरिष्ठता के ढांचा को थोपने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये विषय उच्च न्यायालय के विवेक पर छोड़ा जाना चाहिए क्योंकि संविधान के तहत उन्हें अधीनस्थ न्यायपालिका के प्रशासन का अधिकार देता है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा