Madhya Pradesh

नागदा : जर्मनी लैंंक्सेस उद्योग के ठेका श्रमिकों पर लटकी वीआरएस की तलवार

जर्मनी लैंंक्सेस उद्योग

नागदा, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) । उज्जैन जिले के औद्योगिक शहर नागदा में एक और जहां संचालित इंडस्ट्रीज में रोजगार का तो कोई इजाफा नहीे हो रहा, लेकिन रोजगार छिनने का क्रम जारी है। किसी जमाने में यह शहर समूच्रे प्रदेश में सभी उद्योगों मिलाकर लगभग 25 हजार श्रमिकों को रोजगार देने के नाम से जाना जाता था, लेकिन एक उद्योग भारत कॉर्मस पहले बंद हुआ बाद में देश में मशहूर ग्रेसिम उद्योग में मजदूरों को पहले वीआरएस दिया गया बाद में कोरोना काल में तकरीन 3 हजार ठेका मजदूरों की रोजी रोटी छिनी गई। अब यहां सभी उद्योगो में मिलाकर यह संख्या लगभग महज 5 हजार तक सिमट गई। इतना सब कुछ चलते हाल में अब यहा जर्मनी कंपनी द्वारा संचालित लैंक्सेस उद्योग में ठेका मजदूरों पर वीआरएस की तलवार लटक गई है। इस उद्योग में ठेका मजदूरों को वीआरएस देना शुरू कर दिया गया है, हालांकि मजदूरों के अधिकारों के लिए कार्यरत मजदूर संगठन इसे स्चेेच्छिक सेवा निवृत्ति बता रहा हैं, जबकि मजदूर वर्ग से प्राप्त जानकारी में और कुछ बाते सामने आ रही है। ठेका मजदूरों की छटनी करने की योजना बताई जा रही है। यह भी सुना जा रहा है कि बाद में स्टॉफ में भी वीआरएस लागू होगा।

श्रम संगठन का कहना

इस मामले में मप्र शासन असंठित कामगार कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सुल्तानसिंह शेखावत से संपर्क किया गया तो उन्होंने लैक्सेंस यूनिट में कार्यरत भारतीय मजदूरू संध ठेका श्रमिक के नेता राजकुमार सिसौदिया से संपर्क करने का सुझाव दिया। इधर, श्रमिक नेता सिसौदिया का कहना थाकि यह एकस्वेच्दिक योजना है। मैंटीनेस विभाग और इलेक्ट्रिक विभ्ज्ञाग मेंं वर्तमान में 130 ठेका मजदूर कार्यरत है। उन में से तकरीन 25 ठेका श्रमिकों को कम किया जा रहा है। किसी भी मजदूर से जबरजस्ती नहीं होगी जो स्वेच्छा से लेना चाहे उन्हें ही वीआरएस दिया जाएगा। इन दोनों विभाग से जो भी ठेका मजदूर मर्जी से नौकरी छोडेगा उन्हें सर्विस काल की अवधि पर वीआरएस राशि का निर्धारण होगा। अधिकमतम 3 लाख 50 हजार राशि श्रमिक का प्राप्त हो सकेगी। सेवाकाल में मिलनी वाली ग्रेज्यूटी अलग से मिलेगी। इधर, औधोगिक सूत्र बता रहे हैकि कंपनी हाईकमान से अधिकमतम चार लाख की राशि देना मंजूर किया थाकि लेकिन श्रम संगठनों ने इसे कम करवा दिया।

उद्योग में उत्पादन और इतिहास

मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में जो लैक्संस उद्योग चल रहा है, इसकी बिडलाग्राम नागदा में पूर्व में मेसर्स ग्वालियर केमिकल्स प्रा लिमिटेड के नाम 1978 में शुरूआत हुई थी। इस यूनिट से 1 सितंबर 2009 को 5,91 305 एमटीपीए उत्पादन क्षमता के लिए रसायनों के निर्माण के लिए एलआईपीएल द्वारा इस प्लांट का अध्रिग्र्रहण किया गया। बाद में इस उद्योग में और अधिक रसायनों के उत्पादन क्षमता की अनुमति 2018 में भारत सरकार पर्यावरण विभाग से ली गई। वर्तमारन में लैंक्सेस उद्योग में मुख्य रूप से कार्बनिक रसायन बेजाइल क्लोराइड, बैजाइल अल्कोहल, बैजलडीहाईड आदि का उत्पादन होता है।

उद्योग प्रबंधक का पक्ष

इस बारे में उद्योग में स्थानीय स्तर पर मीडिया को वर्सन देने की कोई व्यवस्था इस यूनिट में नही है। इसलिए उद्योग प्रबंधक का पक्ष नहीं मिला है।

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(Udaipur Kiran) / कैलाश सनोलिया