
मुंबई,8 नवंबर ( हि.स.) । जैसे चंदन के वृक्षों की कोमल शाखाओं से जहरीले खतरनाक नाग लिपटे रहते हैं लगभग उसी तर्ज पर ठाणे शहर में आम सड़क के किनारे पर्यावरण के लिए लगाए गए हरे भरे पेड़ो की डालियों से हाइ वोल्टेज करंट वाले विद्युत रोशनाई वाले तार अभी भी चिपके हुए है जिसके कारण पर्यावरण तो दूषित हो हो रहा है लोगों की जान का भी खतरा है।दिवाली का त्योहार खत्म हुए दो हफ्ते बीत चुके हैं, पटाखों की आवाज़ थम गई है… लेकिन शहर के पेड़ों पर बिजली की रोशनी अभी भी जगमगा रही है! ठाणे में कई पेड़ों पर अभी भी लाइटों और हैलोजन की मालाएँ लगी हुई हैं। इससे पेड़ों की सेहत पर असर पड़ रहा है । स्थानीय पर्यावरणविदों ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई है।
हालांकि कहा जाता है कि पेड़ों पर लाइटें न लगाएँ, लेकिन इस संबंध में ठाणे नगर निगम के पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन का क्रियान्वयन कागजों तक ही सीमित रह गया है। कुछ जगहों पर, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने पेड़ों पर लैंप के खंभे और लाइटें लगा दी हैं। नतीजतन, पेड़ों की श्वसन प्रक्रिया बाधित हो रही है और रात में उनका चयापचय बाधित हो रहा है, पर्यावरणविद चेतावनी दे रहे हैं।
दीपों की गर्मी पेड़ों की शाखाओं और पत्तियों को नुकसान पहुँचाती है। यह पेड़ों के आराम करने का समय होता है, इसे खराब करना उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने जैसा है, नागरिक इस बात से नाखुश हैं कि नगर निगम के कर्मचारियों और वार्ड कार्यालयों द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
यह इस बारे में पर्यावरणविद डॉ प्रशांत सिनकर से चर्चा की है तब उन्होंने कहा कि जब पेड़ों को रात में रोशनी मिलती है, तो उनकी जैविक लय गड़बड़ा जाती है। दिन में पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, लेकिन रात में यह प्रक्रिया उलट जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम प्रकाश इस श्वसन क्रिया को बाधित करता है और पेड़ों की ऊर्जा (चीनी) उत्पादन को धीमा कर देता है।
ठाणे नगर निगम को यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतने की ज़रूरत है कि पेड़ों पर बिजली की रोशनी न हो। हालाँकि, नगर निगम ने इसे पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया है। अब त्योहार खत्म हो गया है। पेड़ों पर लगे दीप भी उतार दिए जाने चाहिए! नगर निगम को तुरंत निरीक्षण करके इस रोशनी को हटा देना चाहिए, पेड़ों पर रोशनी पर स्थायी प्रतिबंध लगा देना चाहिए और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
—————
(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा