
कोलकाता, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर ‘डर फैलाने’ का आरोप लगाने के एक दिन बाद राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को कहा कि पानिहाटी निवासी प्रदीप कर की आत्महत्या का एनआरसी या विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) से कोई लेना-देना नहीं है।
अधिकारी ने कहा कि 57 वर्षीय प्रदीप कर, जिनका शव मंगलवार को उत्तर 24 परगना जिले के पानिहाटी स्थित घर से फांसी के फंदे पर लटका मिला था, वर्ष 2002 की मतदाता सूची में पंजीकृत थे और उसी वर्ष पानिहाटी विधानसभा क्षेत्र में मतदान भी कर चुके थे।
भाजपा नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रखर आलोचक शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि टीएमसी इस दुखद घटना को राजनीतिक लाभ के लिए “झूठी कहानियों” के रूप में पेश कर रही है। उन्होंने कहा, “प्रदीप कर की मौत का एनआरसी या एसआईआर से कोई संबंध नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना किसी अन्य निजी कारण से हुई होगी। टीएमसी ने असंवेदनशील ढंग से झूठा नैरेटिव गढ़ा है। बंगाल की जनता इस दुष्प्रचार का जवाब देगी।”
बैरकपुर पुलिस आयुक्तालय के प्रमुख मुरलीधर शर्मा ने बताया कि प्रदीप कर का शव मंगलवार सुबह उनके घर से बरामद किया गया। उनके पास से एक सुसाइड नोट मिला जिसमें एनआरसी का उल्लेख था। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि सोमवार को मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की घोषणा के बाद वह मानसिक तनाव में थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को भाजपा पर “डर और विभाजन की राजनीति” करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा, “यह सोचकर मन विचलित होता है कि वर्षों से भाजपा निर्दोष नागरिकों को एनआरसी के नाम पर डराकर, झूठ फैलाकर और असुरक्षा को हथियार बनाकर वोट हासिल करने की कोशिश कर रही है।” उन्होंने भाजपा पर “संवैधानिक लोकतंत्र को डर के रंगमंच में बदलने” का आरोप लगाते हुए कहा कि “यह त्रासदी विषैली राजनीतिक प्रचार का नतीजा है।”
मुख्यमंत्री के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि ममता बनर्जी “झूठ और नाटकीयता” का सहारा ले रही हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, “प्रदीप कर की मौत की जांच निष्पक्ष रूप से होनी चाहिए। आत्महत्या के कारण का निर्धारण राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं बल्कि कानून और जांच एजेंसियों के जरिए होना चाहिए।”
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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर