
हिसार, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में वानिकी विभाग द्वारा
‘मिट्टी से थाली तक’-खेजड़ी एवं सहजन (मोरिंगा) का पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। वानिकी
विभाग द्वारा सतत पोषण के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.
बीआर कंबोज ने खेजड़ी और मोरिंगा की विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जो रिसर्च व
प्रसारण के लिए प्रयोग किए जाएंगे।
प्रो. बीआर कंबोज ने बुधवार काे कहा कि पर्यावरण प्रदूषण का मानव के
स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है, इसलिए शरीर को अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है।
खेजड़ी शुष्क क्षेत्र का बहुत महत्वपूर्ण वृक्ष है। इसका संपूर्ण भाग मनुष्य और पशुओं
के लिए लाभदायक है। उन्होंने खेजड़ी के पोषकीय महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी
कच्ची सांगरी में प्रोटीन औसतन 8 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 58 प्रतिशत, फाइबर 28 प्रतिशत,
वसा 2 प्रतिशत, कैल्शियम 0.4 प्रतिशत तथा आयरन 0.2 प्रतिशत पाया जाता है। इसी प्रकार
पक्की फली में प्रोटीन 8-15 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 40-50 प्रतिशत, फाइबर 9-21 प्रतिशत
तथा शर्करा 8-15 प्रतिशत पाया जाता है। कुलपति ने बताया कि थार शोभा खेजड़ी से प्राप्त
सांगरी आय का एक मुख्य स्त्रोत है। कच्ची फलियां, ताजी व सुखी हुई दोनों अवस्थाओं में
उपयोग में ली जाती हैं। सांगरी से आचार भी बनता है जो लंबे समय तक उपयोग में लिया
जा सकता है।
वानिकी विभागाध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. संदीप आर्य ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत
करते हुए बताया कि वानिकी विभाग ने विभिन्न कृषि वानिकी मॉडलों पर परीक्षण किए हैं,
जिसमें पाया गया कि खेजड़ी के साथ जो फसल बोई जाती है उस फसल की उत्पादकता सामान्य
से अधिक होती है। यह मिट्टी की उर्वरता क्षमता को बढ़ाता है। इस वृक्ष की फलियां स्थानीय
रूप से सांगरी के रूप में जानी जाती हैं, जिसमें पोषक तत्व भरपूर मात्रा मे होते हैं।
इस अवसर पर कुलसचिव सहित विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी, विभागाध्यक्ष
सहित शिक्षक, गैर-शिक्षक कर्मचारियों व विद्यार्थियों ने भी पौधरोपण किया।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
