
रांची, 7 नवंबर (Udaipur Kiran) । नीति आयोग की सचिव रंजना चोपड़ा ने कहा कि अब समय आ गया है कि देश के पीवीटीजी (आदिम जनजातीय समूह) क्षेत्रों में हाउसहोल्ड सैचुरेशन की दिशा में ठोस कदम उठाया जाए। वे शुक्रवार को पीवीटीजी समुदायों के विकास पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि जिन गांवों तक सड़क नहीं पहुंची है, वहां प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मनरेगा के माध्यम से कार्य कराया जाए, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल सकें। गांवों तक ऐसी कनेक्टिविटी विकसित की जानी चाहिए कि लोगों के दरवाजे से अस्पताल, स्कूल और शहर तक वाहनों की सहज पहुंच संभव हो।
रंजना चोपड़ा ने बताया कि वर्ष 2018 में पीवीटीजी कल्याण के लिए शुरू की गई योजना का अब सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है। कई क्षेत्रों में हर घर नल योजना, सड़क निर्माण और विद्युतीकरण के कार्य सैचुरेशन मोड में पूरे किए जा चुके हैं। झारखंड सहित कई राज्यों में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज हुई है।
उन्होंने जानकारी दी कि अब ऐसे टोलों में आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिनकी आबादी कम से कम 100 लोगों की है।
आदिम जनजाति की महिलाओं को काम के दौरान राहत देने के लिए बनेंगे क्रेच
साथ ही, आदिम जनजाति की महिलाओं को काम के दौरान राहत देने के लिए क्रेच (बच्चों की देखभाल केंद्र) खोले जाने की योजना भी बनाई जा रही है।
नीति आयोग की सचिव ने झारखंड के पीवीटीजी क्षेत्रों में हुए कार्यों और शेष कार्यों का विस्तृत डेटा तैयार करने का निर्देश दिया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किस क्षेत्र में कौन सी योजना लागू करने की जरूरत है।
स्वावलंबन की दिशा में उठाए जा रहे ठोस कदम : राेहित कुमार
नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव और मिशन डायरेक्टर रोहित कुमार ने कहा कि पीवीटीजी योजना ऐसी पहल है, जिसके माध्यम से आदिम जनजाति समुदायों के समग्र विकास की परिकल्पना को साकार किया जा रहा है। यह सेमिनार पीवीटीजी समुदायों के सशक्तिकरण और विकास पर फोकस है। उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य उन प्रखंडों और क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ना है जो अब तक विकास की दौड़ में पीछे रह गए हैं। जिन इलाकों में पिछड़ी आदिवासी कम्युनिटी निवास करती है, वहां विकास कार्यों के माध्यम से स्वावलंबन की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
सेमिनार के उद्घाटन सत्र में अपने स्वागत संबोधन के दौरान योजना और विकास सचिव मुकेश कुमार ने कहा कि राज्य की भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद झारखंड ने आदिम जनजातीय समुदायों के विकास में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
कुमार ने कहा कि नीति आयोग और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मार्गदर्शन में राज्य सरकार पीवीटीजी समुदायों के समग्र विकास के लिए कई नवाचारों पर काम कर रही है। विशेष रूप से डाकिया योजना जैसी पहल ने दूरस्थ गांवों में सरकारी सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित की है। इस योजना के तहत आवश्यक वस्तुएं, पोषण आहार और दवाएं सीधे लोगों के दरवाजे तक पहुंचाई जा रही हैं, जिससे जीवन स्तर में स्पष्ट सुधार हुआ है।
सुपर 60 सेमिनार में पद्मश्री मधु मंसूरी, पद्मश्री जमुना टुडू, पद्मश्री सिमन उरांव, पद्मश्री जागेश्वर यादव, पद्मश्री कमी मुर्मू सहित एडिशनल मिशन डायरेक्टर आनंद शेखर, आदिवासी कल्याण सचिव कृपानंद झा, सचिव योजना एवं विकास मुकेश कुमार, विशेष सचिव योजना एवं विकास राजीव रंजन सहित छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, ओडिशा और झारखंड के अधिकारी मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak