
वाराणसी, 29 अक्टूबर(Udaipur Kiran) । काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में स्थापित आरएसएस भवन को फिर से संचालित करने और वहां किसी भी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न होने देने के सम्बंध में दाखिल वाद पर 29 अक्टूबर को सिविल जज (जूनियर डिवीजन) शमाली मित्तल की अदालत में सुनवाई हुई।
विचाराधीन इस मुकदमे में वादी प्रमील पांडेय की ओर से अधिवक्ता गिरीश चंद्र उपाध्याय एवं मुकेश मिश्रा ने पक्ष रखते हुए न्यायालय को अवगत कराया कि अब तक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा मुकदमे के संदर्भ में हलफनामा नहीं दिया गया है और न तो वादी या उनके अधिवक्ता को कोई प्रति उत्तर हीं प्राप्त हुआ है। अतः एक तरफ आदेश किया जाए, जिस पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वकील ने अपना विरोध दर्ज कराया।
इस पर अदालत ने अगली सुनवाई की तिथि 09 नवम्बर नियत करते हुए बीएचयू प्रशासन को निर्देशित किया कि प्रतिवादी संख्या दो यानी कुलपति हलफनामा के साथ प्रति उत्तर की कॉपी वादी या उनके अधिवक्ता को उपलब्ध कराई जाए।
वादी प्रमील पांडेय ने वाद सम्बंधित जानकारी देते हुए कहा कि बीएचयू में स्थापित आरएसएस भवन को पुनः संचालित करने और वहां किसी भी प्रकार का अवरोध न होने देने की मांग को लेकर अदालत में वाद दायर किया है। वाद में कहा गया है कि बीएचयू में वर्ष 1931 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा प्रारम्भ हुई थी। महामना पं. मदन मोहन मालवीय की पहल पर वर्ष 1937-38 में दो कमरों का एक संघ भवन भी बनवाया गया था। यह भवन उस समय के प्रति कुलपति राजा ज्वाला प्रसाद के माध्यम से निर्मित कराया गया था। वर्तमान में यह भवन विधि संकाय परिसर में स्थित है और इसे ‘संघ स्टेडियम’ के नाम से जाना जाता था। इसी बीच, आपातकाल (इमरजेंसी) के दौरान 22 फरवरी 1976 को तत्कालीन कुलपति कालूलाल श्रीमाली के कार्यकाल में इस भवन को रातों-रात ध्वस्त करा दिया गया था।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भवन को फिर से संचालित कराने से जुड़े मामले में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की अदालत में सुनवाई हुई। वादी प्रमील पांडेय के अधिवक्ताओं ने अदालत को अवगत कराया कि अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई लिखित जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है।
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(Udaipur Kiran) / श.चन्द्र