
गुवाहाटी, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । “मैं मर जाऊं तो मुझे ब्रह्मपुत्र में ही बहा देना। ब्रह्मपुत्र मेरे पिता समान है। मैं सागर से ज्यादा ब्रह्मपुत्र को प्यार करता हूं। यह धरती की एकमात्र ‘पुरुष नदी’ है।” — ये शब्द थे असम के युगनायक, जन-जन के प्रिय कलाकार जुबीन गर्ग के।
बुधवार सुबह जुबीन गर्ग की अस्थियां पूरे विधि-विधान के साथ ब्रह्मपुत्र नदी में विसर्जित की गईं। 19 सितंबर को उनके आकस्मिक निधन के बाद आज परिजनों और प्रशंसकों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार की यह अंतिम रस्म पूरी की गई।
गुवाहाटी के कछारी घाट पर जुबीन की पत्नी गरिमा गर्ग ने भावभीनी आंखों से अपने पति की अस्थियां ब्रह्मपुत्र में प्रवाहित कीं। उसी समय, जुबीन के भाई अरुण गर्ग — जिन्होंने मुखाग्नि दी थी — ने जोरहाट में अस्थियों का विसर्जन किया।
गरिमा और अरुण दोनों ही नम आंखों से अपने प्रिय जुबीन को अंतिम विदाई देते हुए भावुक हो उठे। इस प्रकार, जुबीन गर्ग अपनी अंतिम इच्छा के अनुसार सदा के लिए ब्रह्मपुत्र की पावन गोद में विलीन हो गए।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश