
धमतरी, 7 नवंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष में धमतरी जिले का खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग सतत प्रगति और जनसेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। वर्ष 2000 से 2025 तक विभाग ने खाद्य सुरक्षा, पारदर्शिता और तकनीकी सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। यह यात्रा न केवल खाद्य सुरक्षा से आत्मनिर्भरता तक की कहानी कहती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे डिजिटल पारदर्शिता और जनसेवा के संगम से धमतरी का खाद्य तंत्र सशक्त हुआ है।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2000 में जिले में 296 शासकीय उचित मूल्य दुकानें संचालित थीं, जहाँ मैनुअल प्रणाली से राशन वितरण किया जाता था। पारदर्शिता और समयबद्धता की चुनौतियों के बीच लाभार्थियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। वहीं अब विभाग ने पूर्णतः ऑनलाइन आधार प्रमाणीकरण प्रणाली लागू कर दी है। वर्तमान में जिले की 484 उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से खाद्यान्न वितरण सुगमता, पारदर्शिता और सटीकता के साथ किया जा रहा है। इस तकनीकी बदलाव से वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है और हितग्राहियों को निर्धारित मात्रा में समय पर राशन प्राप्त हो रहा है।
वर्ष 2000 में जिले में जहाँ 82,460 राशनकार्ड थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 2,58,352 हो चुकी है। इनमें से 2,33,429 बीपीएल तथा 24,923 अन्य श्रेणी के राशनकार्ड शामिल हैं। यह वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि विभाग ने सामाजिक सुरक्षा और खाद्य अधिकार के विस्तार में अहम भूमिका निभाई है। धमतरी जिले में धान खरीदी व्यवस्था भी वर्षों में और अधिक मजबूत हुई है। वर्ष 2000 में जहाँ 70 खरीद केंद्र संचालित थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 100 केंद्रों तक पहुँच गई है। इन केंद्रों के माध्यम से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान विक्रय की सुविधा मिल रही है, जिससे उनकी आय में वृद्धि और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित हुई है। वर्ष 2000 में जिले में 135 राइस मिलें पंजीकृत थीं, जबकि अब यह संख्या बढ़कर 226 तक पहुँच गई है। इससे खरीदे गए धान की समय पर कस्टम मिलिंग और चावल की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित हो पाई है, जिससे खाद्य सुरक्षा तंत्र और अधिक सुदृढ़ हुआ है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा