Gujarat

वंदे मातरम भारत की आत्मा का नाद और संकल्प जगाने वाले राष्ट्रप्रेम की पवित्र ध्वनि है : मुख्यमंत्री

મુખ્યમંત્રી ભૂપેન્દ્ર પટેલ
ગુજરાત વિધાનસભા, ગાંધીનગર
ગુજરાત વિધાનસભા, ગાંધીનગર

वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में समारोह आयोजित

गांधीनगर, 07 नवंबर (Udaipur Kiran) । वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता और विधानसभा अध्यक्ष शंकरभाई चौधरी एवं राज्य मंत्री कांतिभाई अमृतिया की उपस्थिति में शुक्रवार को गुजरात विधानसभा परिसर में वंदे मातरम गीत और स्वदेशी अपनाने के संकल्प का सामूहिक पठन किया गया।

राज्य सूचना विभाग ने बताया कि मुख्यमंत्री पटेल ने इस अवसर पर वंदे मातरम गीत की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वंदे मातरम गीत को विकास का राजमार्ग, संकल्पित राष्ट्र जीवन का महामार्ग और हमारी आजादी की धड़कन करार दिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1875 में लिखित हमारे वंदे मातरम गीत के 7 नवंबर को 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रव्यापी उत्सव मनाया जा रहा है। इस उत्सव से 140 करोड़ भारतवासियों में ‘राष्ट प्रथम’ का भाव उजागर हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वंदे मातरम गीत के शब्दों ‘त्वम हि प्राणा शरीरे’ को चरितार्थ करते हुए प्रत्येक सांस के साथ मां भारती के लिए समर्पित रहकर एक आदर्श जीवन जीने का उदाहरण समग्र देशवासियों को दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम को भारत की आन, बान और शान बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वंदे मातरम गीत में की गई मां भारती की कल्पना के अनुरूप सुजलाम-सुफलाम के साथ-साथ प्रत्येक बात को साकार करने के लिए सारे कदम उठाए हैं। गुजरात में उनके द्वारा शुरू की गई पंचामृत शक्ति, कन्या केळवणी (शिक्षा), गरीबों-वंचितों के कल्याण के कदम या सबके विकास और सुख-समृद्धि की भावना भी वंदे मातरम में निहित है।

उन्होंने कहा कि यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी के उपन्यास ‘आनंद मठ’ में पहली बार प्रकाशित हुआ था और पहली बार जब रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यह गीत गाया, तो देश के नागरिकों को एक अद्भुत रोमांच का अनुभव हुआ था। ‘वंदे मातरम’ केवल एक गीत नहीं है, यह तो भारत की आत्मा का नाद और प्रत्येक भारतीय के हृदय में अनंत ऊर्जा, श्रद्धा और संकल्प जगाने वाले राष्ट्रप्रेम की पवित्र ध्वनि है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम एक ऐसा क्रांति मंत्र है, जिसे बोलते ही सभी भारतीयों के हृदय के तार झंकृत हो उठते हैं और मातृभूमि के प्रति वंदन का भाव समर्पण में परिवर्तित हो जाता है। वंदे मातरम न केवल राष्ट्रीय गीत है, बल्कि यह प्रेरणा गीत भी है, जिसने स्वाधीनता संग्राम से लेकर आज तक सभी के हृदय में एक अनूठा स्थान बनाया है।

उन्होंने वंदे मातरम गीत की रचना से संबंधित एक किस्से का उल्लेख करते हुए कहा कि वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र की छोटी बेटी ने उनसे पूछा कि आप जिस मातृभूमि की स्तुति करते हैं, वो कैसी हैं, इस बारे में बताइए। तब इसके जवाब में उन्होंने वंदे मातरम गीत की रचना की और कहा कि यह भारत भूमि हरी-भरी, उपजाऊ, सभी को पोषण देने वाली, नीलवर्णी खेतों वाली, सुख देने वाली तथा नदियों एवं सरोवरों से समृद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 1950 में ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया। आज भी, जब वंदे मातरम गीत गाने या उसे सुनने पर मातृभक्ति और मां भारती की आराधना का भाव जागृत हो जाता है।

मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि आज जब प्रधानमंत्री के प्रयासों से हमें एक बार फिर वंदे मातरम गीत के शब्दों को जीने की प्रेरणा मिली है, तब इस अवसर पर सभी नागरिक स्वदेशी पर बल दें और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ें। उन्होंने स्वदेशी के वंदे मातरम गीत के साथ सीधे संबंध का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि 1906 में गुजरात में अहमदाबाद में स्वदेशी वस्तुओं की प्रदर्शनी आयोजित हुई, तब गुजरात की धरती पर पहली बार ‘वंदे मातरम’ गीत गाया गया था। उस समय गुजरात की इस पावन भूमि पर मातृभूमि के विकास और स्वदेशी वस्तुओं के बीच संबंध स्थापित हुआ था।

इस दौरान सभी ने वंदे मातरम गीत के बाद स्वदेशी अपनाने की सामूहिक शपथ ली गई। इस शपथ में स्वदेशी को दैनिक जीवन का एक हिस्सा बनाने और स्वदेशी वस्तुओं को दैनिक जीवन में अपनाने का आह्वान किया गया है। वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूरे होने के इस गौरवशाली अवसर का उत्सव राज्य के जिला मुख्यालयों, नगरों और गांवों में मंत्रियों एवं पदाधिकारियों की उपस्थिति में जनभागीदारी के साथ मनाया गया।

इस अवसर पर गांधीनगर की विधायक रीटाबेन पटेल, मुख्य सचिव एम.के. दास, मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार डॉ. हसमुख अढिया, अपर मुख्य सचिव एस.के. हैदर, अंजू शर्मा, प्रधान सचिव अश्विनी कुमार तथा राज्य के वरिष्ठ सचिव और सचिवालय के अधिकारी एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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(Udaipur Kiran) / Abhishek Barad