
–चर्चा में आया बागपत जिले का सिसाना गांव
बागपत, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तरप्रदेश के बागपत जिले में सिसाना गांव के खंडवारी वनक्षेत्र में प्राचीन टीले की खुदाई करते समय पुराने अवशेष और विभिन्न प्रकार की आकृतियां मिलने पर लाेगाें की उत्सुकता बढ़ गई है। इन अवशेषों को लेकर इतिहासकार अमित राय जैन ने दावा किया है कि यह महाभारतकालीन दुर्लभ पुरावशेष हैं। उन्हाेंने कहा कि इसकी विस्तृत रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजी जाएगी। साथ ही संस्कृति मंत्री से मिलकर खंडवारी वन क्षेत्र के दुर्लभ पुरावशेषों को संरक्षित कर उत्खनन का प्रयास किया जाएगा।
जनपद बागपत के सिसाना गांव के पश्चिमी छोर पर यमुना नदी के किनारे के वन क्षेत्र खंडवारी वन के नाम से जाना जाता है। साेमवार काे खुदाई के दौरान यहां कई ढांचे और आकृतियां मिली थीं। इसके बाद मंगलवार को शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर अमित राय जैन गांव पहुंचे और निरीक्षण करने के बाद उन्होंने दावा किया कि सिसाना के जंगल में मिले अवशेष महाभारत कालीन प्राचीन दुर्लभ अवशेष हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर निकले प्राचीन अवशेष चार से पांच हजार वर्ष प्राचीन यानी की महाभारत कालीन सभ्यता की मानव बस्ती के हैं। यहां पूरे क्षेत्र में चित्रित धुसर मृद भांड संस्कृति के अवशेष बिखरे पड़े हैं ।
उन्होंने कहा है कि यहां महाभारतकालीन मानव बस्ती के मकान, उपयोग होने वाले बर्तन व चूल्हे इत्यादि के अवशेष अत्यंत दुर्लभ श्रेणी के हैं।
मंदिर नहीं मानव बस्ती
अमित राय जैन ने बताया कि प्राचीन मानव निर्मित एक शंकु आकार का ईंटों से बना स्थापत्य कला का नमूना है। यह कोई मंदिर तो नहीं है, परंतु प्राचीन मानव सभ्यता के मानव बस्ती के शिखर पर बनाए जाने वाला एक प्राचीन निर्माण है, जिसे दूर से देखकर अन्य सभ्यताओं के लोग इस मानव बस्ती में आते जाते होंगे।
सर्वेक्षण से खुलेगा राज
डॉ अमित राय जैन ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम के लोग उत्खनन करने के बाद इन पुरावशेषाें के बारे में अधिक जानकारी दे सकते हैं। क्योंकि मिट्टी की ऊपरी सतह पर मिलने वाला सामान केवल समय और उस समय के लोगों के खान-पान इत्यादि के विषय में ही जानकारी देता है।
अवशेषों को देखने उमड़ी भीड़
प्राचीन टीले की खुदाई में अवशेषों और कई आकृतियां मिलने खबर फैलते ही आसपास के गांव के हजारों ग्रामीण इन्हें देखने के लिए पहुंच रहे हैं। इसी बीच गांव के विवेक चौहान ने इन अवशेषों तथा आकृतियाें की जानकारी शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार डॉ अमित राय जैन को दी। इसके बाद डॉ राय जैन ने पुरातात्विक अवशेषों को परीक्षण कर इसे अत्यंत दुर्लभ प्रकृति का बताया।
(Udaipur Kiran) / सचिन त्यागी