Madhya Pradesh

अनूपपुर: छठ महापर्व पर उगते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रतियों ने की परिवार के सुख समृद्धि की कामना

उगते सूर्य को अध्र्य देती महिलाए
उगते सूर्य को अध्र्य देने उमडी भीड
उगते सूर्य को अध्र्य देने उमडी भीड 2

जिले भर में छठ उपासकों ने नदी तलाबों में उगते सूर्य को किया नमन,चार दिवसीय पर्व का समापन

अनूपपुर, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही व्रतियों ने अपने व्रत का पारण किया और परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। मंगलवार तड़के से ही छठ घाटों पर व्रतियों की भीड़ लगने लगी थी। घाटों पर मनमोहक छटा देखते ही बन रही थी। इस तरह से लोक आस्था के चार दिवसीय छठ महापर्व का आज समापन हो गया। जिला मुख्यालय 21 स्थानों में व्रतियों ने भगवान भास्कर के दर्शन कर अघ्र्य देकर अराधना की।

छठ पूजा के आखिरी दिन श्रद्धालु नदियों के घाटों पर एकत्र हुए और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। व्रती महिलाओं और पुरुषों ने पानी में खड़े होकर सूर्य देव को फल, सब्जी और खाने की सामग्री अर्पित की और अपने प्रियजनों की प्रसन्नता तथा समृद्धि की कामना की। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, दूसरे दिन खरना ,तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन देश में छठ पूजा की जाती है यह पूजा भगवान सूर्य और उनकी पत्नी ऊषा को समर्पित होती है।

जिले में छठ पूजा मनाने वाले व्रतियों ने 36घंटे का निर्जला व्रत रखकर कड़ी साधना कर सूर्य से अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की। इससे पहले षष्ठी को यानी 27 अक्टूबर की शाम को व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दिया। भक्तों ने रातभर सूर्य देव के जल्दी उगने की प्रार्थना की। जिला मुख्यालय स्थित मडफ़ा तलाब(समतपुर)व तिपान नदी के तट सहित कोयलांचल नगरी जमुना कॉलरी, भालूमाड़ा, कोतमा, श्रमिक नगर, बदरा, राजनगर सहित चचाई,राजेन्द्रकग्राम एवं अमरकंटक में सभी व्रतियों ने भगवान भास्कर के दर्शन कर अघ्र्य दे कर अराधना की। सुबह के समय घाटों पर बड़ी संख्या में व्रती अपने परिवार जनों के साथ जुट गए। अघ्र्य देने के बाद घाट या घर पर पारण कर श्रद्धालुओं ने अपना व्रत पूर्ण किया। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो गया।

इस पर्व में छठ महापर्व की शुरुआत नहाए खाए के दिन से 36घंटे का उपवास के बाद शुरू होती हैं। श्रद्धालु खरना के दिन पूरे दिन व्रत रखकर शाम को खीर का प्रसाद बनाते है। तीसरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रह कर सूर्य अस्त होने के पहले सज धज कर सभी प्रकार की पूजा सामग्री टोकरी, सूपा में भर कर सिर में रख कर घर के पुरूषो द्वारा नदी तलाबो के घाट में षष्टि माता के मानस रूप मान कर पूजन अर्चन करती है व सूर्य को अर्घ्य देकर घाट पर सभी साथ मिलकर भजन कीर्तन व छठी माता का उपासना करती है। सप्तमी के दिन सुबह सूर्योदय के पूर्व घाट पर पहुच कर स्नान कर पानी मे खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्यं प्रदान करते है उसके बाद पूजन कर सभी को प्रसाद बाट कर अपना व्रत पूर्ण करती है और छठी माता से अपनी मनोकामना का आशीर्वाद मांगती है।

(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला

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