
-चार साल के लंबे इंतजार के बाद मिला मौका-दंपत्तियों के चेहरे पर छाई खुशी
कानपुर, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के कानपुर का जिलाधिकारी कार्यालय सोमवार को भावनाओं से भर गया। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने जैसे ही दत्तक ग्रहण आदेश पर हस्ताक्षर किए और तीन दंपत्तियों को प्रमाणपत्र सौंपे, वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो उठीं। जिन घरों में बरसों से इंतजार था, वहां अब बच्चों की किलकारियां गूंजेंगी।
गाैरतलब है कि पिछले वर्ष नजीराबाद थाने के अंतर्गत अबाेध बच्ची परी काे लावारिस पाया गया था। दूसरा नवजात करन जो कोतवाली क्षेत्र से निराश्रित अवस्था में मिला और अनवरगंज थाना क्षेत्र से नवजात सोना रेलवे स्टेशन पर अकेली मिली थी। इन तीनों बच्चों को बाल कल्याण समिति के आदेश से स्वरूप नगर स्थित राजकीय विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण इकाई, बालिका गृह में रखा गया। वहीं से इनकी देखरेख हुई नियम के मुताबिक दो महीने तक उनके असल माता-पिता का इंतज़ार किया गया और कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इन्हें स्वतंत्र घोषित किया गया। साेमवार काे ये तीनों नए परिवारों की धरोहर बन गए। तीन मासूमों को ममता और स्नेह मिला और तीन दंपत्तियों को जीवन का सबसे बड़ा उपहार।
हैदराबाद, धनबाद और जयपुर में होगी परवरिश
हैदराबाद के प्रवीण कुमार दीवानजी और लता श्रीवास्तव ने परी को गोद लिया, जिसका नया नाम रखा गया रायिनी। धनबाद (झारखंड) के दिनेश कुमार तिवारी और अनामिका तिवारी ने करन को गोद लिया, जिसका नाम आयांश रखा गया। जयपुर के भीमराज और मीना देवी ने सोना को गोद लिया, जिसे अब वान्या नाम मिला है।
यह पूरी प्रक्रिया महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अधिसूचना 2022 और किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के तहत कारा (केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण) के पोर्टल (https://cara.wcd.gov.in/) के माध्यम से संपन्न हुई।
यह हैं नियम
गोद लेने के इच्छुक दंपत्तियों को पैन कार्ड, आधार, जन्म व विवाह प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, आईटीआर, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और नवीनतम फोटो सहित दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करने होते हैं। इसके बाद जिला बाल संरक्षण इकाई आवेदक की गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार कर पोर्टल पर अपलोड करती है। तभी आवेदन प्रक्रिया में आता है। जब सारी औपचारिकताएं पूरी हो जाती हैं तो पहले बच्चों को फॉस्टर केयर में सौंपा जाता है, जिसके दौरान दंपत्ति को निर्धारित शुल्क जमा करना पड़ता है। अंतिम चरण में जिलाधिकारी कार्यालय में सुनवाई और साक्षात्कार होता है तथा सभी नियम पूरे होने पर जिलाधिकारी द्वारा विधिक रूप से दत्तक ग्रहण का आदेश जारी किया जाता है।
चार साल करना पड़ा इंतजार
इसी क्रम में तीनों दंपत्तियों ने वर्ष 2021 में आवेदन किया था। सभी औपचारिकताओं के बाद अगस्त 2025 में फी-फॉस्टर केयर एडॉप्शन कमेटी के निर्णय पर निर्धारित शुल्क जमा कर बच्चों को अस्थायी रूप से सौंपा गया। अंतिम आदेश के लिए आज जिलाधिकारी कार्यालय में साक्षात्कार हुआ और आदेश जारी कर दिया गया। इस दौरान अपर जिलाधिकारी नगर डॉ राजेश कुमार तथा जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास कुमार भी मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
