
कोलकाता, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में चुनावी माहौल के बीच एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के विधायक निशिथ कुमार मलिक को यह कहते सुना जा सकता है कि यदि इलेक्शन कमीशन द्वारा प्रस्तावित एसआईआर के बाद वोटर्स लिस्ट से “एक भी असली मतदाता” का नाम हटता है तो वे भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जला देंगे।
वीडियो में मलिक ने दावा भी किया कि वे हर हाल में सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी वास्तविक मतदाता का नाम मतदाता सूची से हटाया न जाए।
जानकारी के मुताबिक, उन्होंने यह टिप्पणी रविवार दोपहर जिला स्तर पर मीडिया संवाद के दौरान की थी। हालांकि न्यूज एजेंसी (Udaipur Kiran) ने वीडियो की प्रामाणिकता स्वतंत्र रूप से जांची नहीं है।
मलिक ने यह भी कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया ने हिंदू समुदाय के मतदाताओं, विशेष रूप से बांग्लादेश से आए शरणार्थी समूहों जैसे मतुआ व राजबंशी, में भय और संदेह पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं वे घबरा रहे हैं। पर मैं उनसे राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस पर भरोसा रखने का अनुरोध करता हूं। हम सुनिश्चित करेंगे कि एक भी वास्तविक मतदाता का नाम हटाया न जाए।
भाजपा प्रवक्ता सौम्यजीत बनर्जी ने इस प्रकार की धमकियों की निंदा करते हुए कहा कि यह तृणमूल नेतृत्व की राजनीतिक दुर्दशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी धमकियां नई नहीं हैं और इससे पार्टी की वैचारिक गिरावट उजागर होती है।
यह पहली बार नहीं जब तृणमूल के कुछ नेता एसआईआर को लेकर तीखे शब्दों या धमकियों के स्वर में बोले हैं। इस महीने की शुरुआत में राज्य मंत्रिमंडल के दो मंत्रियों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के राज्य मंत्री ताज़मुल हुसैन और सिंचाई एवं जलमार्ग विभाग की राज्य मंत्री सबीना यासमीन, को एसआईआर के मद्देनज़र सार्वजनिक तौर पर दंगों की धमकियां देते सुना गया था। इसी माह तृणमूल के सांसद व पूर्व मंत्री पार्थ भौमिक ने भी कहा था कि यदि एक भी वास्तविक मतदाता का नाम हटे, तो “पश्चिम बंगाल उबल उठेगा” और लोगों से भाजपा नेताओं को घेरने का आह्वान किया था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नौ अक्टूबर को मीडिया से कहा था कि किसी विशेष समुदाय के वोटरों के नाम हटाने को वह सहन नहीं करेंगी। उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की थी कि वे “आग के साथ न खेलें” क्योंकि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के कारण कई लोगों के घर बह चुके हैं और वे आवश्यक दस्तावेज़ जुटाने में सक्षम नहीं हैं। साथ ही सीज़न के कारण कई लोग छुट्टियों पर हैं और दस्तावेज़ उपलब्ध कराना कठिन होगा।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
