HimachalPradesh

कांगड़ा के बाद अब शाहपुर में गरजेगा ओबीसी, 9 नवंबर को होगा अधिवेशन

धर्मशाला, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ शाहपुर में जुटने जा रहा है। बीते 20 सितंबर को कांगड़ा से धर्मशाला तक रैली निकालने के बाद अब एक बार फिर ओबीसी के लोग शाहपुर में सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने जा रहे हैं। शाहपुर के छिंज मेला ग्राउंड, रजोल में नौ नवंबर को ओबीसी संघर्ष समिति का महाधिवेशन होने जा रहा है।

ओबीसी संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष सौरभ कौंडल ने बताया कि ओबीसी के 20 सूत्रीय मांगपत्र पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार और विपक्ष में बैठी भाजपा ने अब तक अपना स्टैंड क्लीयर नहीं किया है। खासकर ओबीसी के नाम पर वोट मांगकर भाजपा-कांग्रेस में एमएलए या अन्य पदों पर बैठे नेता चुप्पी साधे हुए हैं। किसी नेता ने खुलकर ओबीसी को सपोर्ट नहीं किया है। ऐसे नेताओं को जनता चुनावों में सबक देगी। कौंडल ने कहा कि आगामी नौ नवंबर को शाहपुर में रजोल के छिंज मेला ग्राउंड में ओबीसी का अधिवेशन होगा, इसमें आगामी रणनीति पर विचार किया जाएगा। शाहपुर इकाई कार्यक्रम की आयोजक होगी। ओबीसी के 20 सूत्री मांगपत्र पर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्ष में बैठी भाजपा चुप है। ओबीसी के लोग हिमाचल में 93वें संविधान संशोधन 2005 के अनुसार सभी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने की मांग रख रहे हैं। इसके अलावा केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों में ओबीसी छात्रों के लिए छात्रावासों का निर्माण भी प्रमुख मांग है। राइट टू एजुकेशन एक्ट को राज्य में पूर्ण रूप से लागू करने की भी गुहार है।

ओबीसी की मांग है कि नौकरी और सेवाओं में समान अवसर प्रदान किए जाएं। अन्य पिछड़ा वर्ग की प्रमुख मांग यह भी है कि मंडल आयोग व सुप्रीम कोर्ट के अनुसार 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण सभी सरकारी सेवाओं में लागू किया जाए। साथ ही एनएफएस के तहत आरक्षित वर्ग को नकारने वाले अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। वहीं रोस्टर प्रणाली के तहत सभी विभागों में ओबीसी को आरक्षण सुनिश्चित किया जाए। ओबीसी बैकलाग पदों को तुरंत भरा जाए और नई नियुक्तियां रोकी जाएं।

जनगणना जल्द करवाई जाए

हिमाचल विधानसभा व लोकसभा में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें तय की जाएं। ओबीसी जनगणना प्रदेश में जल्द करवाई जाए। ओबीसी कल्याण के लिए अलग बजट का प्रविधान किया जाए। ओबीसी के बजट से बनाए गए भवनों पर तथाकथित नेताओं ने कब्जा करके रखा है उन भवनों को भी ओबीसी संगठनों को जल्द सौंपे। ओबीसी संघर्ष समिति का कहना है कि ओबीसी के नाम पर वोट मांगकर अपनी सियासी रोटियां सेंकने वालों को चुनावों में सबक दिया जाएगा।

(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया

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