Jharkhand

हमारी संस्कृति और सभ्यता का परिचायक है लुगूबुरु राजकीय महोत्‍सव : मुख्‍यमंत्री

मुख्यमंत्री सहित अन्य
मुख्यमंत्री सहित अन्य
पूजा अचना करते मुख्यमंत्री सहित अन्य

बोकारो, 05 नवंबर( हि.स.)। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि लुगूबुरु, घांटाबाड़ी, धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव सिर्फ एक महोत्सव नहीं है बल्कि अपनी परंपरा और संस्कृति- सभ्यता के प्रति हमारी अटूट आस्था श्रद्धा और भक्ति का परिचायक है। हमें अपनी परंपरा एवं संस्कृति को संरक्षित रखते हुए इसे और मजबूती प्रदान करना है ताकि आने वाली पीढ़ी इससे अवगत रहे और अपनी इन परंपराओं को और आगे ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

सोरेन बुधवार को बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड स्थित ललपनिया में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय लुगूबुरु, घांटाबाड़ी, धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अपनी परंपरा और संस्कृति को जितनी अच्छी तरह समझेंगे, उतना ही बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लुगू बुरु विशेष रूप से संताल समाज के लिए एक ऐसा पवित्र स्थल है , जहां हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले लुगूबुरु, घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव में झारखंड के अलावा देश के अन्य प्रदेश और विदेशों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। वे यहां लुगू बाबा का दर्शन और पारंपरिक विधि- विधान से पूजा- अर्चना कर खुशहाली की कामना करते हैं। उन्‍होंने कहा कि वे इस राजकीय महोत्सव में यहां आये श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लुगूबुरु संताल समुदाय का एक ऐसा गढ़ है, जहां हमारे पूर्वजों ने एक ऐसी व्यवस्था बनाई है, जिसका पालन हम हमेशा से करते आ रहे हैं। संताल समाज को बेहतर एवं व्यवस्थित बनाने में हम अपने पूर्वजों के योगदान को कभी भूल नहीं सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अबुआ समाज, संस्कृति, परंपरा और रीति- रिवाज की समृद्ध तथा आगे बढ़ाने के लिए हमारी सरकार सदैव से गंभीर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लुगूबुरु, घांटाबाड़ी हमारे लिए असीम आस्था का केंद्र है। हर वर्ष यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और लुगू बाबा के दर्शन करते हैं। ऐसे में देश – विदेश से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा सुविधा और सहूलियत देने के लिए यहां की व्यवस्था को बेहतर बनाने का कार्य किया जा रहा है। यह तीर्थ स्थल विश्व के मानचित्र पर एक अलग पहचान बनाने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज हमेशा से ही प्रकृति को सुरक्षित और संरक्षित करता आ रहा है। लेकिन, आज विकास की होड़ में जल- जंगल और जमीन खत्म होते जा रहे हैं। यह प्रकृति के लिए बहुत बड़ा खतरा है । अगर पर्यावरण संरक्षण की खातिर आगे नहीं बढ़ेंगे तो इसके खतरनाक परिणाम भुगतान को तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान बिरसा मुंडा और सिदो- कान्हू जैसे हमारे पूर्वजों ने जल -जंगल और जमीन की खातिर हमेशा संघर्ष करते रहे, उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में पर्यावरण को बचाने के लिए सामाजिक स्तर पर नियम तय कर उसका पालन करने की जरूरत पर जोर दिया।

दिशोम गुरु शिबू सोरेन की प्रतिमा लुगूबुरु में स्थापित करने को लेकर मुख्यमंत्री ने टेराकोटा शैली में गुरूजी की प्रतिमूर्ति लुगुबुरू घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव आयोजन समिति को सौंपी। इससे पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन संग लुगुबुरू घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ पुनाय थान में पारंपरिक विधि -विधान के साथ लुगू बाबा की पूजा -अर्चना की। उन्‍होंने मौके पर राज्य की सुख और समृद्धि की कामना की। इसके साथ उन्होंने यहां भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर भी माल्‍यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर मंत्री चमरा लिंडा, मंत्री योगेंद्र प्रसाद महतो, विधायक कल्पना सोरेन, विधायक उमाकांत रजक, जिला परिषद अध्यक्ष सुनीता देवी, पुलिस महानिरीक्षक, कोयला प्रक्षेत्र सुनील भास्कर, क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक आरटी पंडियान, टीटीपीएस के महाप्रबंधक अनिल कुमार शर्मा, बोकारो जिला के उपायुक्त अजय नाथ झा, पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह, लुगुबुरू घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव के आयोजन समिति के अध्यक्ष बबुली सोरेन सहित अन्‍य मौजूद थे।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे