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गहलोत संविधान की रक्षा पर भाषण देने से पहले अपनी पार्टी के इतिहास में झांककर देंखे- मदन राठौड़

अशोक गहलोत संविधान की रक्षा पर भाषण देने से पहले अपनी पार्टी के इतिहास में झांककर देंखे मदन राठौड़

जयपुर, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने अशोक गहलोत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा ने हमेशा संविधान की रक्षा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पहली बार संसद पहुंचे थे, तो उन्होंने संसद की सीढ़ियों पर प्रणाम किया और शपथ ग्रहण से पूर्व संविधान की प्रति को अपने मस्तक पर लगाया। यह भाजपा की संविधान के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। वहीं कांग्रेसी नेताओं को संविधान की रक्षा पर भाषण देने से पहले अपने इतिहास में झांककर देखना चाहिए। कांग्रेस ने बार-बार संविधान की अवहेलना की है। राठौड़ ने कहा कि शाहबानो प्रकरण में जब सुप्रीम कोर्ट ने एक मुस्लिम महिला को न्याय दिलाया था, तब कांग्रेस सरकार ने संविधान में संशोधन कर उस निर्णय को पलट दिया। यह संविधान की भावना की हत्या थी। कांग्रेस ने देश में एक बार नहीं, 50 बार जनता द्वारा चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त किया, जो लोकतंत्र और संविधान दोनों के साथ खिलवाड़ था।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि 1975 की इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस ने पूरे देश में संविधान को ताक पर रख दिया था, नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे, प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई थी और विरोध की आवाज़ को दबा दिया जाता था और गहलोत आज संविधान की दुहाई दे रहे हैं, तो उन्हें पहले अपने दल के काले इतिहास को याद करना चाहिए, जिन्होंने संविधान को बार-बार रौंदा, वे आज संविधान के रक्षक बनने का नाटक कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश संविधान के आदर्शों पर चलते हुए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र से आगे बढ़ रहा है। भाजपा संविधान की मर्यादा और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस का संविधान के प्रति वास्तविक रवैया तो उस समय सबके सामने आया जब राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान 2013 में संसद के अंदर एक महत्वपूर्ण अध्यादेश को फाड़ दिया था। यह घटना लोकतंत्र के मंदिर संसद का अपमान थी और यह दिखाती है कि कांग्रेस नेतृत्व के लिए संविधान, संसद और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का कोई सम्मान नहीं है।

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(Udaipur Kiran)

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