Madhya Pradesh

अनूपपुर: छठ पूजा: मंत्रोच्चारण के साथ हुआ घ्ववज पूजन,महिलाओं ने रखा खरना का व्रत

झंडा वंदन पूजन

अनूपपुर, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व डाला छठ में 25 अक्टूबर को व्रती महिलाओं ने खरना का व्रत रखा। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी छठ पूजा समिति अनूपपुर द्वारा मडफा तालाब एवं तिपान नदी मंत्रोच्चारण के साथ छठी मैया के लिए प्रतीक चिन्ह झंडा की स्थापना की गई। इसके साथ ही जिले के 19 में तलाब सरोबरों में छठी मैया के लिए प्रतीक चिन्ह घ्वीज की स्थापना की गई।

झंडा वंदन पूजन

अनूपपुर के सामतपुर में पांडवकालीन शिव मारुति मंदिर परिसर में शाम को झंडा वंदन पूजन विद्वान आचार्य पंडित केशव प्रसाद मिश्रा (चंदू महाराज) के वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विधि-विधानपूर्वक सम्पन्न कराया। इस दौरान समिति के संयोजक एडवोकेट अक्षयवट प्रसाद, भगवा पार्टी जिला अध्यक्ष कन्हैया लाल मिश्रा, पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष रमेश सिंह, प्रदेश सचिव सुजीत मिश्रा, पंडित दिनेश मिश्रा, विजय सिंह राठौर, पार्षद गणेश रौतेल, चैतन्य मिश्रा, अजय प्रसाद, शिव मारुति युवा संगठन अध्यक्ष बृजेश राठौर, उपाध्यक्ष शिवांशु रंजन, सदस्य सुशील राठौर एवं मनीष राठौर सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा

इसके साथ ही 36 घंटे तक निर्जला व्रत की शुरुआत हो चुकी हैं पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर को नहाय-खाय, 26 अक्टूबर रविवार को खरना और 27 अक्टूबर सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 28 अक्टूबर को अरुणोदय काल में अर्घ्य के साथ पर्व का समापन होगा। यह व्रत सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। अनूपपुर में पूजन की तैयारी हेतु मड़फा तालाब के साथ तिपान नदी के तट पर पूजन हेतु घाट की सफाई के साथ छठी मैया के पूजन आसन की तैयारी पूर्ण कर ली गई है। 28 अक्टूबर को सूर्योदय के साथ पूजा की समाप्ति पर समस्त उपस्थित श्रद्धालु एवं व्रत धारी माता और बहनों को पारण हेतु व्यवस्था की गई है।

जिले में 21 स्थानों में होगी छठ पूजा

पुलिस अधीक्षक मोतिउर रहमान नहीं बताया कि जिले के 21 स्थानो में छठ पूजा होगी। इसके लिए सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गई हैं। सभी स्थानों में सुरक्षा बल मौजूद रहेंगा। अनूपपुर में 2, अमरकंटक 1, कोतमा 4, बिजुरी 1, भालूमाडा 2, रामनगर 5, चचाई में 5, राजेन्द्र ग्राम में 1 स्थान नदी, तलाबों के घाटों में सूर्य उपासना का महापर्व मनाया जायेगा। जिसमें कोतवाली थाना अनूपपुर क्षेत्र में माडफा तालाब सामतपुर एवं तिपान नदी के तट पर, चचाई थाना क्षेत्र में ग्राम पंचायत भवन भरगामा के पास छठकुंड, धोबिया टंकी तालाब, कुदरा ओला तालाब विवेक नगर, गणेश घाट सोन नदी एवं बड़ा तालाब संजय नगर के पास, कोतमा थाना में चार स्थानों पर पंप हाउस घाट केवी नदी गणेश नगर, पुलिया के पास वार्ड क्रमांक 8 में, बस स्टेशन के पीछे तालाब में, कलमुड़ी नाला, थाना भालूमाडा में दो स्थानों में पारसी रोड छठ तालाब एवं केवई नदी, बिजुरी में देवी तालाब सूर्य मंदिर, रामनगर में पांच स्थानों में छठ पूजा होगी जिसमें जोड़ा तालाब, शिव मंदिर तालाब, भलमुडी तालाब, पोखरी डोला एवं पौराधार थाना राजेंद्रग्राम में जोहिला पुल के पास एवं अमरकंटक थाना में नर्मदा नदी रामघाट में छठ पूजा की जाएगी। इस दौरान राज्य आपदा प्रबंधन केन्द्र अनूपपुर के जिला कामान्डेट और उनकी टीम सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात रहेंगी।

दिनभर निर्जला उपवास रखगी व्रती महिलाएं

27 अक्टूबर सोमवार को भोर से हुई व्रत की शुरूआत में दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद व्रती महिलाएं सूर्यास्त के पूर्व प्रथम अर्ग शाम को स्नान के बाद छठी मइया की पूजा विधि-विधान से करने के बाद उन्हें रसियाव, खीर,शुद्ध घी लगी रोटी, अरवा चावल, गुड़ और दूध मिश्रित बखीर, केला का भोग लगायेगी। फिर भोग को स्वयं खरना करेंगी। इसके बाद इसका वितरण परिजनों में होगा। खरना के बाद सुहागिनों की मांग भरकर उन्हें सदा सुहागन रहने का आशीष देंगी। इसके साथ ही 36 घंटे का निराजल कठिन व्रत शुरू होगा। व्रती महिलाएं शुक्रवार की शाम छठ मइया की गीत गाते हुए सिर पर पूजा की देउरी रख गाजे बाजे के साथ सरोवर नदी तट पर जाएगी और समूह में छठ मइया की कथा सुन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर घर लौटेंगी। 28 अक्टूबर मंगलवार को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण करेंगी। पर्व पर वेदी को सजाने का कार्य भी परिजनों ने पूरा कर लिया है। सरोवरों में वेदिकाएं बनाकर जगह घेर दिया है। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के समय भगवान भाष्कर को विशेष प्रकार का पकवान ठेकुवा और मौसमी फल चढ़ाने की भी पूरी तैयारी हो चुकी है।

माताओं द्वारा संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना की इच्छा

विदित हो कि उप्र बिहार का सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण त्योहार छठ पूजा माना जाता है। जिसे छठी मैय्या के रूप में पूजा जाता है। छठ पूजन व्रत की शुरूआत नहाय खाय से शुरू होती है जो दूसरे दिन पूरा दिन व्रत रखकर खरना पूजन और तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन की सुबह उगते सूर्य को पुन: जल में डूबकर अध्र्य देकर पर्व समाप्ति के साथ होती है। माताओं द्वारा संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना की इच्छा से रखा जाने वाला यह व्रत कठिन व्रतों में से एक है। सूर्यदेव को अध्र्य देकर छठ पूजन सम्पूर्ण कर माताएं पुत्र की कामना व पुत्रों के उत्तम स्वास्थ्य व खुशहाली की आशीष मांगती हैं।

(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला

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