समस्तीपुर, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) ।
बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार का श्रीगणेश करने समस्तीपुर के कर्पूरीग्राम पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिहार की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा एक खास उपहार मिला। स्थानीय सांसद शांभवी चौधरी ने उन्हें लोककला मिथिला पेंटिंग से सजी एक विशिष्ट ‘सूप’ भेंट की।
छठ महापर्व से जुड़ी इस भेंट की सुंदरता और इसका सांस्कृतिक महत्व देख प्रधानमंत्री सहित मंच पर उपस्थित सभी लोग मंत्रमुग्ध रह गए। यह उपहार बिहार की पहचान, लोक कला और लोक आस्था के महापर्व छठ की पवित्रता का शानदार प्रतीक बन गया।
परंपरा के समर्पण से सजी दो दिन की कारीगरी:
यह अद्वितीय ‘सूप’ समस्तीपुर के मगरदही क्षेत्र के निवासी और जाने-माने लोक कलाकार कुंदन कुमार राय द्वारा तैयार किया गया है। कुंदन राय ने बताया कि इस कलाकृति को अंतिम रूप देने में उन्हें लगभग दो दिन का समय लगा। उन्होंने मिथिला पेंटिंग के हर एक डिज़ाइन को अत्यंत बारीकी और एकाग्रता के साथ रंगों से उकेरा है।कुंदन राय के अनुसार, इस तरह के सूप की बाजार में कीमत भले ही 700 से 1500 रुपये के बीच हो सकती है, लेकिन इसमें समाहित भावनाएँ, अथक परिश्रम और परंपरा के प्रति समर्पण इसे एक ‘अनमोल धरोहर’ का दर्जा देते हैं।
यह विशेष सूप महापर्व छठ पूजा की पवित्रता और आस्था को दर्शाता है। छठ में ‘सूप’ का उपयोग सूर्यदेव को ‘अर्घ्य’ देने और पूजन सामग्री रखने के लिए किया जाता है। मिथिला पेंटिंग के सजीव रंग और डिज़ाइन इस पारंपरिक वस्तु को एक कलात्मक ऊँचाई प्रदान करते हैं, जो भारतीय संस्कृति और लोक परंपरा की आत्मा को साकार करती है।कलाकार कुंदन कुमार राय का जीवन संघर्ष और कला के प्रति अदम्य प्रेम की कहानी है।
पेंटिंग के प्रति उनका जुनून बचपन से ही था, जिसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी। यह कला उन्होंने अपनी मां से सीखी, जो स्वयं मिथिला पेंटिंग की विशेषज्ञ हैं।जीवन में एक ऐसा दौर भी आया जब ‘कलर ब्लाइंडनेस’ (रंगों को सही ढंग से न पहचान पाना) की वजह से उन्हें पेंटिंग छोड़नी पड़ी। लेकिन, 2009 में एमबीए की पढ़ाई के दौरान एक शिक्षक के प्रोत्साहन से उन्होंने एक पेंटिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और ‘फर्स्ट रनर अप’ रहे, जिसने उन्हें अपनी कला को फिर से जीने की प्रेरणा दी।
कुंदन राय ने बताया कि कलर ब्लाइंडनेस के कारण वह कई रंगों (जैसे लाल, हरा, गुलाबी, नीला आदि) को ठीक से नहीं देख पाते हैं। इसके बावजूद, वह अपनी फ्रीस्टाइल पेंटिंग बिना किसी सहारे के बनाते हैं। हालांकि, सटीक रंग वाली पेंटिंग के लिए वह अपनी बहन या भांजी की मदद लेते हैं।प्रधानमंत्री को यह कलाकृति भेंट किए जाने का क्षण कुंदन राय के लिए सर्वोच्च गौरव का क्षण बन गया है।
उनकी यह उपलब्धि समस्तीपुर की लोककला को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक पटल पर भी एक विशिष्ट पहचान दिला रही है। यह सांस्कृतिक भेंट विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को भी अपनी जड़ों और छठ पूजा के प्रति भावनात्मक रूप से जोड़ेगी।
(Udaipur Kiran) / त्रिलोकनाथ उपाध्याय
