श्रीनगर, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने आज ‘नशा मुक्त जम्मू-कश्मीर अभियान’ की प्रगति और प्रभाव की समीक्षा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की। यह केंद्र शासित प्रदेश के सभी ज़िलों में सूचना विभाग द्वारा चलाया जा रहा एक गहन नशा-विरोधी जागरूकता अभियान है।
सभी ज़िलों के उपायुक्तों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए भाग लिया। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) तथा जम्मू-कश्मीर के स्कूलों को शामिल करते हुए एक सतत और समुदाय-संचालित जागरूकता अभियान की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने जमीनी स्तर पर क्षमता निर्माण के महत्व पर ज़ोर दिया और निर्देश दिया कि आईएमएचएएनएस के माध्यम से संसाधन व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया जाए जिसमें पैरामेडिकल स्टाफ, स्कूल शिक्षक और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्य शामिल हों। उन्होंने कहा कि ये प्रशिक्षित व्यक्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूलों और ग्रामीण समुदायों में मादक द्रव्यों के सेवन से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए परामर्शदाता के रूप में काम करेंगे।
मुख्य सचिव ने उपायुक्तों को संबंधित विभागों के साथ समन्वय करके उपयुक्त स्थानीय संसाधनों की पहचान करने के निर्देश दिए और स्वास्थ्य विभाग को इन परामर्शदाताओं के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करने को कहा। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि प्रशिक्षकों के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण सुनिश्चित करने और समग्र कार्यान्वयन ढाँचे को मज़बूत करने के लिए नीति आयोग से सहायता ली जा सकती है।
मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों को नशा-रोधी हेल्पलाइन नंबरों पर प्राप्त कॉलों का ऑडिट करने का भी निर्देश दिया ताकि पीड़ितों और उनके परिवारों को दी जा रही सहायता की प्रकृति का आकलन किया जा सके।
उन्होंने अभियान के ज़िलेवार कार्यान्वयन की समीक्षा की और उपायुक्तों से जनता की प्रतिक्रिया और नियोजित गतिविधियों की प्रगति पर प्रतिक्रिया ली। पुनर्वास के महत्व पर ज़ोर देते हुए उन्होंने ज़िलों से मादक द्रव्यों के सेवन से उबरने वाले व्यक्तियों का निरंतर मार्गदर्शन और सम्मानजनक पुनर्वास सुनिश्चित करने, ऐसे युवाओं को स्वरोज़गार के अवसर और अन्य मार्गदर्शन प्रदान करने को कहा।
(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता