
जोधपुर, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थइयात गांव के पास हुई दर्दनाक बस दुर्घटना की एफएसएल रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आग लगने का कारण बस की छत पर लगे एयर कंडीशनर की वायरिंग में हुआ शॉर्ट सर्किट था।
जोधपुर और जयपुर की विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की संयुक्त जांच में यह निष्कर्ष सामने आया कि आग बस के ऊपरी हिस्से से फैली। एसी इंजन से जुड़ा हुआ था और इंजन चालू होने पर ही एसी चलता था। इसी वायरिंग में शॉर्ट सर्किट होने से चिंगारी निकली और बस में धुआं भर गया। जब यात्रियों ने खिडक़ी तोड़ी तो एसी की कार्बन मोनोऑक्साइड गैस और ऑक्सीजन के मिलते ही आग भडक़ उठी। हादसे में 19 यात्रियों की मौके पर मौत हो गई थी, जबकि अब तक 26 लोगों की जान जा चुकी है। जांच में पाया गया कि बस के टायर, डीजल टैंक और बैटरी पूरी तरह सुरक्षित थे, जिससे साबित हुआ कि आग ऊपर से लगी थी। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट हुआ कि बस में कोई विस्फोटक या ज्वलनशील पदार्थ नहीं था। डिक्की में मिले पटाखे पानी से भीग चुके थे। पुलिस की एसआईटी ने बस मालिक, ड्राइवर और बॉडी निर्माता को गिरफ्तार किया है। जांच में बस में कई सुरक्षा अनियमितताएं पाई गईं, जैसे आपात द्वार पर सीट लगाना और अग्निशमन उपकरणों की अनुपस्थिति के अलावा बस में खिडक़ी व दरवाजा तोडऩे के लिए हैमर नहीं लगा था।
जैसलमेर एसपी अभिषेक शिवहरे ने बताया कि 14 अक्टूबर को हादसे के बाद जोधपुर और जैसलमेर एफएसएल की टीमों ने मौके पर पहुंच कर साक्ष्य जुटाए थे। बस से जले हुए तारों और अन्य सामग्रियों के सैम्पल जांच के लिए जयपुर भेजे गए थे। दोनों प्रयोगशालाओं की चार दिन चली जांच में यह निष्कर्ष निकला कि एसी वायरिंग में शॉर्ट सर्किट ही आग का मूल कारण रहा। एसपी ने बताया कि बस की छत पर लगा एसी इंजन से जुड़ा हुआ था। इंजन चालू होने पर ही एसी भी स्टार्ट होता था। जांच में पाया गया कि यही वायरिंग शॉर्ट सर्किट हुई और आग लग गई। जिसके बाद धुआं एसी के रास्ते से बाहर निकलने लगा, जिससे लोगों को बस के अंदर सांस लेने में तकलीफ हुई। इस दौरान कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ धुआं आता देख लोगों ने जैसे ही बस की खिडक़ी का कांच तोड़ा तो एसी की कार्बन मोनोऑक्साइड गैस और बाहर की ऑक्सीजन गैस साथ मिल जाने से बस में आग भडक़ उठी और तेजी से सभी यात्रियों को अपनी चपेट में ले लिया।
एसपी ने बताया कि हादसे में बस के सभी छह टायर, डीजल टैंक और बैटरी पूरी तरह सुरक्षित पाई गईं। यहां तक कि डीजल टैंक का ढक्कन भी आग से प्रभावित नहीं हुआ। इससे स्पष्ट होता है कि आग बस के ऊपरी हिस्से यानी छत से लगी थी। इस हादसे में 19 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 16 गंभीर रूप से झुलस गए थे, जिन्हें जोधपुर रेफर किया गया था। उन्होंने बताया कि इसके अलावा अब तक किसी ने भी बस हादसे को लेकर कोई क्लेम नहीं किया है। ऐसे में साफ है कि बस में कुल 35 यात्री सवार थे। उन्होंने बताया कि इस हादसे अब तक करीब 26 लोग दम तोड़ चुके हैं। एसपी ने कहा कि बस के ड्राइवर ने भी पूछताछ में यही बताया है कि बस में करीब 35 यात्री सवार थे।
जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि बस में किसी प्रकार की ज्वलनशील या विस्फोटक सामग्री मौजूद नहीं थी। प्रारंभिक अटकलों में कहा गया था कि बस में पटाखे या अन्य विस्फोटक सामग्री के कारण आग फैली होगी, लेकिन एफएसएल रिपोर्ट में ऐसे किसी भी साक्ष्य की पुष्टि नहीं हुई। एसपी शिवहरे ने बताया कि एफएसएल जांच में सामने आया कि बस की साइड डिक्की में पटाखे और प्लास्टिक की एक थैली रखी हुई थी, लेकिन आग बुझाने के दौरान डाले गए पानी से वे पूरी तरह भीग चुके थे। इस कारण उनमें विस्फोट की कोई संभावना नहीं थी। बस के भीतर तापमान एक हजार डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच गया था, लेकिन फिर भी पटाखों के जलने या फटने के कोई प्रमाण नहीं मिले।
एसपी अभिषेक शिवहरे ने बताया कि बस हादसे की जांच के लिए पुलिस द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। बस का मालिक, ड्राइवर और इस बस की बॉडी बनाने वाले को गिरफ्तार किया गया है। एसपी ने बताया कि अलग-अलग एजेंसियों ने बस हादसे को लेकर जांच की है, जिनकी रिपोर्ट भी पुलिस के पास आ गई है। अब इन रिपोट्स के आधार पर आगे अनुसंधान जारी है।
(Udaipur Kiran) / सतीश